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"वानप्रस्थी ये हवाएँ / कुमार रवींद्र" के अवतरणों में अंतर
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− | सुनो, साधो! | + | सुनो, साधो ! |
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दूर तक सड़कें-इमारत | दूर तक सड़कें-इमारत | ||
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हर ओर नीरस | हर ओर नीरस | ||
− | सुनो, साधो! | + | सुनो, साधो ! |
इस नगर में सिर्फ़ हैं अंधी गुफ़ाएँ | इस नगर में सिर्फ़ हैं अंधी गुफ़ाएँ | ||
− | वन नहीं हैं! | + | वन नहीं हैं ! |
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वक्त है गदहा-पचीसी | वक्त है गदहा-पचीसी | ||
− | सुनो साधो! | + | सुनो साधो ! |
जल रही है झील- झुलसी हैं दिशाएँ | जल रही है झील- झुलसी हैं दिशाएँ | ||
− | वन नहीं हैं! | + | वन नहीं हैं ! |
सोचती ये | सोचती ये | ||
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चिड़ियों के ठिकाने | चिड़ियों के ठिकाने | ||
− | सुनो, साधो! | + | सुनो, साधो ! |
क्यों अपाहिज हो रही हैं ये हवाएँ | क्यों अपाहिज हो रही हैं ये हवाएँ | ||
− | वन नहीं हैं! | + | वन नहीं हैं ! |
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09:36, 24 मई 2011 के समय का अवतरण
सुनो, साधो !
वानप्रस्थी ये हवाएँ- कहाँ जाएँ
वन नहीं हैं !
दूर तक सड़कें-इमारत
शोर है बस
धुएँ के बादल घिरे
हर ओर नीरस
सुनो, साधो !
इस नगर में सिर्फ़ हैं अंधी गुफ़ाएँ
वन नहीं हैं !
एक कोने में खड़ी हैं
ये ठगी-सी
बावरे दिन
वक्त है गदहा-पचीसी
सुनो साधो !
जल रही है झील- झुलसी हैं दिशाएँ
वन नहीं हैं !
सोचती ये
कहाँ नंदन-वन पुराने
उत्सवी आकाश
चिड़ियों के ठिकाने
सुनो, साधो !
क्यों अपाहिज हो रही हैं ये हवाएँ
वन नहीं हैं !