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"जो रहा अनकहा / नवनीत पाण्डे" के अवतरणों में अंतर

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<poem>जो रहा अनकहा
 
<poem>जो रहा अनकहा
 
मैंने कहा
 
मैंने कहा
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टुकुर-टुकुर देखता भर रहा बस
 
टुकुर-टुकुर देखता भर रहा बस
 
यह विलोम आसमान  
 
यह विलोम आसमान  
 
एक ही समंदर
 
सारे समंदर
 
मेरे अंदर
 
सारी नदियां भागती सी आती है
 
टकराती है
 
और सूख जाती है
 
समंदर की नहीं कोई एक नदी
 
फिर भी पाले है हर नदी
 
एक समंदर
 
एक ही समंदर
 
कविता
 
अथाह नीले में
 
चुपचाप
 
टप्प से गिरी एक नन्हीं सी कंकरी
 
बनाती
 
एक के बाद एक कई वृत्त
 
होती अथाह
 
चुपचाप
 
 
</poem>
 
</poem>

04:42, 28 सितम्बर 2011 के समय का अवतरण

जो रहा अनकहा
मैंने कहा
गोया कि
थम गई नदी
समंदर बहा
टुकुर-टुकुर देखता भर रहा बस
यह विलोम आसमान