"कामना / अशोक चक्रधर" के अवतरणों में अंतर
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सुदूर कामना | सुदूर कामना | ||
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सारी ऊर्जाएं | सारी ऊर्जाएं | ||
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सारी क्षमताएं खोने पर, | सारी क्षमताएं खोने पर, | ||
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यानि कि | यानि कि | ||
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बहुत बहुत | बहुत बहुत | ||
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बहुत बूढ़ा होने पर, | बहुत बूढ़ा होने पर, | ||
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एक दिन चाहूंगा | एक दिन चाहूंगा | ||
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कि तू मर जाए। | कि तू मर जाए। | ||
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(इसलिए नहीं बताया | (इसलिए नहीं बताया | ||
कि तू डर जाए।) | कि तू डर जाए।) | ||
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हां उस दिन | हां उस दिन | ||
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अपने हाथों से | अपने हाथों से | ||
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तेरा संस्कार करुंगा, | तेरा संस्कार करुंगा, | ||
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उसके ठीक एक महीने बाद | उसके ठीक एक महीने बाद | ||
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मैं मरूंगा। | मैं मरूंगा। | ||
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उस दिन मैं | उस दिन मैं | ||
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तुझ मरी हुई का | तुझ मरी हुई का | ||
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सौंदर्य देखूंगा, | सौंदर्य देखूंगा, | ||
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तेरे स्थाई मौन से सुनूंगा। | तेरे स्थाई मौन से सुनूंगा। | ||
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क़रीब, | क़रीब, | ||
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और क़रीब जाते हुए | और क़रीब जाते हुए | ||
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पहले मस्तक | पहले मस्तक | ||
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और अंतिम तौर पर | और अंतिम तौर पर | ||
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चरण चूमूंगा। | चरण चूमूंगा। | ||
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अपनी बुढ़िया की | अपनी बुढ़िया की | ||
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झुर्रियों के साथ-साथ | झुर्रियों के साथ-साथ | ||
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उसकी एक-एक ख़ूबी गिनूंगा | उसकी एक-एक ख़ूबी गिनूंगा | ||
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उंगलियों से। | उंगलियों से। | ||
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झुर्रियों से ज़्यादा | झुर्रियों से ज़्यादा | ||
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ख़ूबियां होंगी | ख़ूबियां होंगी | ||
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और फिर गिनते-गिनते | और फिर गिनते-गिनते | ||
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गिनते-गिनते | गिनते-गिनते | ||
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उंगलियां कांपने लगेंगी | उंगलियां कांपने लगेंगी | ||
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अंगूठा थक जाएगा। | अंगूठा थक जाएगा। | ||
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फिर मन-मन में गिनूंगा | फिर मन-मन में गिनूंगा | ||
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पूरे महीने गिनता रहूंगा | पूरे महीने गिनता रहूंगा | ||
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बहुत कम सोउंगा, | बहुत कम सोउंगा, | ||
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और छिपकर नहीं | और छिपकर नहीं | ||
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अपने बेटे-बेटी | अपने बेटे-बेटी | ||
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पोते-पोतियों के सामने | पोते-पोतियों के सामने | ||
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आंसुओं से रोऊंगा। | आंसुओं से रोऊंगा। | ||
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एक महीना | एक महीना | ||
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हालांकि ज़्यादा है | हालांकि ज़्यादा है | ||
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पर मरना चाहूंगा | पर मरना चाहूंगा | ||
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एक महीने ही बाद, | एक महीने ही बाद, | ||
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और उस दौरान | और उस दौरान | ||
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ताज़ा करूंगा | ताज़ा करूंगा | ||
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तेरी एक-एक याद। | तेरी एक-एक याद। | ||
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आस्तिक हो जाऊंगा | आस्तिक हो जाऊंगा | ||
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एक महीने के लिए | एक महीने के लिए | ||
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बस तेरा नाम जपूंगा | बस तेरा नाम जपूंगा | ||
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और ढोऊंगा | और ढोऊंगा | ||
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फालतू जीवन का साक्षात् बोझ | फालतू जीवन का साक्षात् बोझ | ||
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हर पल तीसों रोज़। | हर पल तीसों रोज़। | ||
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इन तीस दिनों में | इन तीस दिनों में | ||
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काग़ज़ नहीं छूउंगा | काग़ज़ नहीं छूउंगा | ||
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क़लम नहीं छूउंगा | क़लम नहीं छूउंगा | ||
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अख़बार नहीं पढूंगा | अख़बार नहीं पढूंगा | ||
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संगीत नहीं सुनूंगा | संगीत नहीं सुनूंगा | ||
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बस अपने भीतर | बस अपने भीतर | ||
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तुझी को गुंजाउंगा | तुझी को गुंजाउंगा | ||
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और तीसवीं रात के | और तीसवीं रात के | ||
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गहन सन्नाटे में | गहन सन्नाटे में | ||
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खटाक से मर जाउंगा। | खटाक से मर जाउंगा। | ||
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08:48, 28 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण
सुदूर कामना
सारी ऊर्जाएं
सारी क्षमताएं खोने पर,
यानि कि
बहुत बहुत
बहुत बूढ़ा होने पर,
एक दिन चाहूंगा
कि तू मर जाए।
(इसलिए नहीं बताया
कि तू डर जाए।)
हां उस दिन
अपने हाथों से
तेरा संस्कार करुंगा,
उसके ठीक एक महीने बाद
मैं मरूंगा।
उस दिन मैं
तुझ मरी हुई का
सौंदर्य देखूंगा,
तेरे स्थाई मौन से सुनूंगा।
क़रीब,
और क़रीब जाते हुए
पहले मस्तक
और अंतिम तौर पर
चरण चूमूंगा।
अपनी बुढ़िया की
झुर्रियों के साथ-साथ
उसकी एक-एक ख़ूबी गिनूंगा
उंगलियों से।
झुर्रियों से ज़्यादा
ख़ूबियां होंगी
और फिर गिनते-गिनते
गिनते-गिनते
उंगलियां कांपने लगेंगी
अंगूठा थक जाएगा।
फिर मन-मन में गिनूंगा
पूरे महीने गिनता रहूंगा
बहुत कम सोउंगा,
और छिपकर नहीं
अपने बेटे-बेटी
पोते-पोतियों के सामने
आंसुओं से रोऊंगा।
एक महीना
हालांकि ज़्यादा है
पर मरना चाहूंगा
एक महीने ही बाद,
और उस दौरान
ताज़ा करूंगा
तेरी एक-एक याद।
आस्तिक हो जाऊंगा
एक महीने के लिए
बस तेरा नाम जपूंगा
और ढोऊंगा
फालतू जीवन का साक्षात् बोझ
हर पल तीसों रोज़।
इन तीस दिनों में
काग़ज़ नहीं छूउंगा
क़लम नहीं छूउंगा
अख़बार नहीं पढूंगा
संगीत नहीं सुनूंगा
बस अपने भीतर
तुझी को गुंजाउंगा
और तीसवीं रात के
गहन सन्नाटे में
खटाक से मर जाउंगा।