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"जीवन गाथा / मीना चोपड़ा" के अवतरणों में अंतर
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दर्पण हैं साँसें | दर्पण हैं साँसें | ||
प्रतिबिम्बों को | प्रतिबिम्बों को | ||
− | जन्म देती | + | जन्म देती हैं । |
प्रतिबिम्ब, जो कई | प्रतिबिम्ब, जो कई | ||
− | + | चिन्ह बना देते हैं | |
दाग देते हैं प्रश्न- | दाग देते हैं प्रश्न- | ||
कई दायरों पर | कई दायरों पर | ||
लिख देते हैं दायरे | लिख देते हैं दायरे | ||
− | कई सीनों | + | कई सीनों पर । |
छप जाती है | छप जाती है | ||
समय के पन्नों पर | समय के पन्नों पर | ||
− | जीवन | + | जीवन गाथा । |
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11:55, 4 जुलाई 2010 के समय का अवतरण
उठती हैं
गिरती हैं
दर्पण हैं साँसें
प्रतिबिम्बों को
जन्म देती हैं ।
प्रतिबिम्ब, जो कई
चिन्ह बना देते हैं
दाग देते हैं प्रश्न-
कई दायरों पर
लिख देते हैं दायरे
कई सीनों पर ।
छप जाती है
समय के पन्नों पर
जीवन गाथा ।