भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"मुक्ति / ओम पुरोहित ‘कागद’" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: <poem>घर खाली होने के कारण दहेज न दे पाने के कारण दु:ख बांटने बिरमली की…) |
छो (मुक्ति / ओम पुरोहित कागद का नाम बदलकर मुक्ति / ओम पुरोहित ‘कागद’ कर दिया गया है) |
||
(2 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | < | + | {{KKGlobal}} |
+ | {{KKRachna | ||
+ | |रचनाकार=ओम पुरोहित ‘कागद’ | ||
+ | |संग्रह=आदमी नहीं है / ओम पुरोहित ‘कागद’ | ||
+ | }} | ||
+ | {{KKCatKavita}} | ||
+ | <Poem> | ||
+ | घर खाली होने के कारण | ||
दहेज न दे पाने के कारण | दहेज न दे पाने के कारण | ||
दु:ख बांटने | दु:ख बांटने |
12:12, 31 अगस्त 2010 के समय का अवतरण
घर खाली होने के कारण
दहेज न दे पाने के कारण
दु:ख बांटने
बिरमली की लाश
ससुराल से आई देख
दूसरी जवान बेटी को
लग्र मंडप से उठा
अग्रि के फेरों की बजाय
अग्रि के घेरों में डाल
तीसरी का घांटा मोस
मौन खड़ा है दीपला
जीवन भर की
राड़ खत्म कर
पित्र दायित्व से मुक्त
होंठों पर
मंद-मंद मुस्कान
तालू से चिपके
धीर-गम्भीर शब्द
न रहा बांस
न बजेगी बांसुरी
आओ!
अब दो भले ही आवाज
इक्कीसवीं सदी में जाने को
दीपला तैयार है!