Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: <poem>यदि कोई बनबिलाव छीन कर आपके हाथ से ले जाता है रोटी तो कहां है बात…) |
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ले जाता है रोटी | ले जाता है रोटी |
12:25, 31 अगस्त 2010 के समय का अवतरण
यदि कोई बनबिलाव
छीन कर आपके हाथ से
ले जाता है रोटी
तो कहां है
बात बुरी या छोटी
माना
रोटी तुम्हारे लिए है
तुम रोटी के लिए ही
प्रयत्नशील हो निरंतर
मगर
इसी तरह
और भी तो हो सकता है
साधक कोई सजीव
जिसकी साध्य हो रोटी।