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"अच्छी कविताओं का हश्र / मनोज श्रीवास्तव" के अवतरणों में अंतर

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18:50, 5 जुलाई 2010 के समय का अवतरण

अच्छी कविताओं का हश्र



वह अच्छी कवितायेँ लिखता था
क्योंकि
वह सार्वजनिक स्थानों पर
कास्मेटिक वस्तुओं की
विज्ञापन करने वाली
माडल युवतियों से
घिरा रहता था.