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"मीरां / संतोष मायामोहन" के अवतरणों में अंतर
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स्त्री वस्त्रों से बाहर | स्त्री वस्त्रों से बाहर | ||
नहीं निकाल सकती थी | नहीं निकाल सकती थी | ||
हाथ अथवा अपना मन | हाथ अथवा अपना मन | ||
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महल और अटारी | महल और अटारी | ||
जगाई पहली जोत - | जगाई पहली जोत - | ||
नारी मुक्ति आंदोलन की । | नारी मुक्ति आंदोलन की । | ||
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तुम तूठी थी दुनिया को | तुम तूठी थी दुनिया को | ||
तुम्हें तूठा था कन्हाई ! | तुम्हें तूठा था कन्हाई ! |
01:48, 20 जुलाई 2010 के समय का अवतरण
घर से निकल कर
घर-घर
नगर-नगर घूमना
तो थी अलग बात
स्त्री वस्त्रों से बाहर
नहीं निकाल सकती थी
हाथ अथवा अपना मन
उस वक़्त त्यागे तुम ने
महल और अटारी
जगाई पहली जोत -
नारी मुक्ति आंदोलन की ।
तुम तूठी थी दुनिया को
तुम्हें तूठा था कन्हाई !
अनुवाद : नीरज दइया