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माँ
 
मेरे पास बैठी
 
मेरे पास बैठी
 
बीन रही है धनिये के दाने
 
बीन रही है धनिये के दाने
( तिनके, कंकड़ )
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(तिनके, कंकड़)
 
कर रही है भावों-अभावों की गणना
 
कर रही है भावों-अभावों की गणना
 
सआत- सआत ।
 
सआत- सआत ।
मां,
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माँ,
 
हर महीने लाती है
 
हर महीने लाती है
 
महीने भर का राशन
 
महीने भर का राशन
 
और हर महीने दोहराती है
 
और हर महीने दोहराती है
यही की यही बात ।
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यही... कि यही बात ।
  
 
'''अनुवाद : मोहन आलोक'''
 
'''अनुवाद : मोहन आलोक'''
 
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01:50, 20 जुलाई 2010 के समय का अवतरण

माँ
मेरे पास बैठी
बीन रही है धनिये के दाने
(तिनके, कंकड़)
कर रही है भावों-अभावों की गणना
सआत- सआत ।

माँ,
हर महीने लाती है
महीने भर का राशन
और हर महीने दोहराती है
यही... कि यही बात ।

अनुवाद : मोहन आलोक