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"गीत-3 / मुकेश मानस" के अवतरणों में अंतर

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जितनी बार लड़ेंगे दुख से
 
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हम उतने ही वीर बनेंगे
 
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राहों में चाहे शूल मिलें
 
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मन के कोमल फूल जलें
 
मन के कोमल फूल जलें
जितनी बाधाएं होंगी पथ में
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जितनी बाधाएँ होंगी पथ में
हम उतने ही धीर बनेंगे, जितनी बार्……
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हम उतने ही धीर बनेंगे, जितनी बार...
  
दुख के बादल तो छायेंगे
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दुख के बादल तो छाएँगे
जल विपदा का बरसाएंगे
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जल विपदा का बरसाएँगे
 
एक दिन दुख ओ` पीड़ा
 
एक दिन दुख ओ` पीड़ा
अपनी ही तकदीर बनेंगे, जितनी बार
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अपनी ही तकदीर बनेंगे, जितनी बार...
 
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19:14, 7 सितम्बर 2010 के समय का अवतरण

जितनी बार लड़ेंगे दुख से
हम उतने ही वीर बनेंगे

राहों में चाहे शूल मिलें
मन के कोमल फूल जलें
जितनी बाधाएँ होंगी पथ में
हम उतने ही धीर बनेंगे, जितनी बार...

दुख के बादल तो छाएँगे
जल विपदा का बरसाएँगे
एक दिन दुख ओ` पीड़ा
अपनी ही तकदीर बनेंगे, जितनी बार...
1987