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"नरेन्द्र शर्मा" के अवतरणों में अंतर

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|विविध=पंडित नरेन्द शर्मा ने हिन्दी फ़िल्मों के लिये बहुत से गीत लिखे। उनके 17 कविता संग्रह, एक कहानी संग्रह, एक जीवनी और अनेक रचनाएँ पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं।
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|विविध=पंडित नरेन्द्र शर्मा ने हिन्दी-फ़िल्मों के लिये बहुत से गीत लिखे। उनके 17 कविता संग्रह, एक कहानी संग्रह, एक जीवनी और अनेक रचनाएँ पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। इसके अलावा उस समय की प्रमुख साहित्यिक पत्रिकाओं 'सरस्वती' में 1932  में और 'चांद' में 1933 मेँ इनकी प्रारम्भिक रचनाएँ और स्फुट कविताएँ व समीक्षा इत्यादि छपती रही हैं।
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|अंग्रेज़ीनाम=Narendra Sharma, Narender Sharma, Jyoti Kalash Chhalke
 
|जीवनी=[[नरेन्द्र शर्मा / परिचय]]
 
|जीवनी=[[नरेन्द्र शर्मा / परिचय]]
" छायावाद के जितने कवि थे वे हमारे लिये एक प्रकार से आदर्श रहे और इस समय मैँ बडे आदर के साथ श्री सुमित्रानँदन पँत का नाम लेना चाहूँगा,बल्कि हम दोनोँ ही नरेन्द्रजी और मैँ, दोनोँ ही ...हम दोनोँ ही पँतजी की कविता के बडे प्रेमी थे. वे हमारे आदर्श थे.कविके रुप मेँ भी वे हमारे आदर्श थे और उनको आदर्श बनाकर उनसे कुछ सीख कर हम लोग कुछ आगे बढे! ..जब हम लोग आये, तो हमे ऐसा मालूम हुआ, शायद हिन्दी कविता को मनीषा की आवश्यकता थी, कि हम इस कविता मेँ जीवन के सँपर्क को लायेँ और मैँ इस समय स्मरण करता हूँ कि नरेन्द्र और अँचल ये दो, ऐसे कवि हमारे समकालीन हैँ....हम लोगोँने कविता को एक नयी भूमि पर, जीवन के अधिक निकट लाने का प्रयत्न किया. योँ तो नरेन्द्र जी इन चालीस वर्षोँ मेँ हमारी हिन्दी कविता जितने सोपानोँ से होकर निकली है, उन सब पर बराबर पाँव रखते हुए चले हैँ. शायद प्रारम्भिक छायावादी, उसके बाद जीवन के सँपर्क माँसलता लेते हुए ऐसी कविताएँ, प्रगतिशील कविताएँ, दार्शनिक कविताएँ, सब सोपानोँ मेँ इनकी अपनी छाप है. ...मैँ आपसे यह कहना चाहता हूँ कि प्रेमानुभूति के कवि के रुप मेँ नरेँद्रजी मेँ जितनी सूक्षमताएँ हैँ और जितना उद्`बोधन है , मैँ कोई एक्जाज़्रेशन ( अतिशयोक्ति ) नहीँ कर रहा हूँ , वह आपको हिन्दी के किसी कवि मेँ नहीँ मिलेँगीँ उस समय को जब मैँ याद करता हूँ , तो मुझे ऐसा लगता है , भाषाओँ से हमारी कविता ने एक ऐसी भूमि छूई थी और एक ऐसा साहस दिखलाया था, जो साहस छायावादी कवियोँ मेँ नहीँ है ! वह जीवन से निकट अनुभूतियोँ से ऊपर उठकर ऊपर चला जाता था, यानी उसको छिपाने के लिये , छिपाने के लिये तो नहँ, कमसे कम शायद वह परम्परा नहीँ थी ! इस वास्ते उस भूमि को वे छूते ही नहीँ थे , लेकिन जन नरेन्द्र आये, तो उन्होँने जीवन की ऐसी अनुभूतियोँ को वाणी दी, जिनको छूने का साहस, जिनको कहने का साहस, लोगोँमेँ नहीँ था. यह केवल अभिव्यक्ति नहीँ थी, यह केवल प्रेषण नहीँ था, यह उद्`बोधन यानी जिन अनुभूतोयोँ से कवि गुजरा था, उहेँ औरोँ से अनुभूत करा देना था ! नरेन्द्र जी की कविताएँ प्रकृति - सँबँधी भी हैँ ..एक बात मेँ मुझे नरेन्द्रजी से ईर्ष्या थी, वह यह कि जब मैँ केवल गीत ही लिख सका, ये खँडकाव्य भी लिखते रहे और कथाकाव्य मेँ भी इनकी रुचि प्रारम्भ से रही है. मैँ अपनी शुभकामनाएँ इनको देता हूँ , आशीर्वाद देता हूँ और उनसे स्वयम्` , ब्राह्मण ठहरे, आशीर्वाद चाहता हूँ कि भई, मुझे भी ऐसी उम्र दो कि तुम्हारा वैभव और तुम्हारी उन्नति देखता रहूँ !
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{{छायावादी रचनाकार}}
'''(" पँडित नरेन्द्र शर्मा की " षष्ठिपूर्ति " के अवसर पर
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डा. हरिवँश राय बच्चन के भाषण से साभार उद्`धृत )''' }}
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====कविता / गीत संग्रह====
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* '''[[शूल-फूल / नरेन्द्र शर्मा]]''' (1934)
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* '''[[कर्ण-फूल / नरेन्द्र शर्मा]]''' (1936)
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* '''[[प्रभात-फेरी / नरेन्द्र शर्मा]]''' (1938)
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* '''[[प्रवासी के गीत / नरेन्द्र शर्मा]]''' (1939)
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* '''[[कामिनी / नरेन्द्र शर्मा]]''' (1943)
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* '''[[मिट्टी और फूल / नरेन्द्र शर्मा]]''' (1943)
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* '''[[पलाश-वन / नरेन्द्र शर्मा]]''' (1943)
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* '''[[हंस माला / नरेन्द्र शर्मा]]''' (1946)
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* '''[[रक्तचंदन / नरेन्द्र शर्मा]]''' (1949)
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* '''[[अग्निशस्य / नरेन्द्र शर्मा]]''' (1950)
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* '''[[कदली-वन / नरेन्द्र शर्मा]]''' (1953)
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* '''[[प्यासा-निर्झर / नरेन्द्र शर्मा]]''' (1964)
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* '''[[बहुत रात गये / नरेन्द्र शर्मा]]''' (1967)
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* '''[[सुवीरा / नरेन्द्र शर्मा]]''' (1973)
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====प्रबंध काव्य====
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* '''[[द्रौपदी / नरेन्द्र शर्मा]]''' (1960)
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* '''[[उत्तर जय / नरेन्द्र शर्मा]]''' (1965)
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* '''[[सुवर्णा / नरेन्द्र शर्मा]]''' (1971)
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====प्रतिनिधि रचनाएँ====
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* [[मैं हिंदू हूँ, तुम मुसलमान / नरेन्द्र शर्मा]]
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* [[मेरा मन / नरेन्द्र शर्मा]]
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* [[सूरज डूब गया बल्ली भर / नरेन्द्र शर्मा]]
 
* [[ज्योति कलश छलके / नरेन्द्र शर्मा]]
 
* [[ज्योति कलश छलके / नरेन्द्र शर्मा]]
 
* [[प्रयाग / नरेन्द्र शर्मा]]
 
* [[प्रयाग / नरेन्द्र शर्मा]]
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* [[चलो हम दोनों चलें वहां / नरेन्द्र शर्मा]]
 
* [[चलो हम दोनों चलें वहां / नरेन्द्र शर्मा]]
 
* [[नैना दीवाने एक नहीं माने / नरेन्द्र शर्मा]]
 
* [[नैना दीवाने एक नहीं माने / नरेन्द्र शर्मा]]
* [[मधु माँग ना मेरे मधुर मीत / नरेन्द्र शर्मा]]
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* [[मेरे गीत बड़े हरियाले / नरेन्द्र शर्मा]]
* [[मेरे गीत बडे हरियाले / नरेन्द्र शर्मा]]
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* [[ऐसे हैं सुख सपन हमारे / नरेन्द्र शर्मा]]
* [[ऐसे हैं सुख सपन हमारे/ नरेन्द्र शर्मा]]
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* [[ज्योति पर्व : ज्योति वंदना / नरेन्द्र शर्मा]]
 
* [[ज्योति पर्व : ज्योति वंदना / नरेन्द्र शर्मा]]
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* [[लौ लगाती गीत गाती / नरेन्द्र शर्मा]]
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* [[फटा ट्वीड का नया कोट / नरेन्द्र शर्मा]]
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* [[मधु के दिन मेरे गए बीत / नरेन्द्र शर्मा]]
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* [[सुख-सुहाग की दिव्य-ज्योति से / नरेन्द्र शर्मा]]
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* [[गंगा, बहती हो क्यूँ / नरेन्द्र शर्मा]]
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* [[माया / नरेन्द्र शर्मा]]
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* [[वर्षा मंगल / नरेन्द्र शर्मा]]
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* [[पलाश / नरेन्द्र शर्मा]]
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* [[सुख-दुख / नरेन्द्र शर्मा]]
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* [[आषाढ़ / नरेन्द्र शर्मा]]
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* [[साथी चाँद / नरेन्द्र शर्मा]]
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* [[युग और मैं / नरेन्द्र शर्मा]]
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* [[जय जयति भारत भारती / नरेन्द्र शर्मा]]
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* [[कुछ भी बन बस कायर मत बन / नरेन्द्र शर्मा]]
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* [[क्या मुझे पहचान लोगी / नरेन्द्र शर्मा]]
  
मधु के दिन मेरे गये बीत ! ( २ )
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====बाल कविताएँ====
 
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* [[खिलते और खेलते फूल / नरेन्द्र शर्मा]]
मैँने भी मधु के गीत रचे, मेरे मन की मधुशाला मेँ
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यदि होँ मेरे कुछ गीत बचे, तो उन गीतोँ के कारण ही,
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कुछ और निभा ले प्रीत ~ रीत !
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मधु के दिन मेरे गये बीत ! ( २ )
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मधु कहाँ , यहाँ गँगा - जल है !
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प्रभु के चरणोँ मे रखने को ,
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जीवन का पका हुआ फल है !
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मन हार चुका मधुसदन को,
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मैँ भूल चुका मधु भरे गीत !
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मधु के दिन मेरे गये बीत ! ( २ )
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वह गुपचुप प्रेम भरीँ बातेँ, (२)
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यह मुरझाया मन भूल चुका
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वन कुँजोँ की गुँजित रातेँ (२)
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मधु कलषोँ के छलकाने की
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हो गयी , मधुर बेला व्यतीत !
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मधु के दिन मेरे गये बीत ! ( २ )
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रचना : [ स्व पँ. नरेन्द्र शर्मा ]
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मेरे गीत बडे हरियाले,
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मैने अपने गीत,
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सघन वन अन्तराल से
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खोज निकाले
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मैँने इन्हे जलधि मे खोजा,
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जहाँ द्रवित होता फिरोज़ा
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मन का मधु वितरित करने को,
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गीत बने मरकत के प्याले !
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कनक - वेनु, नभ नील रागिनी,
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बनी रही वँशी सुहागिनी
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-सात रँध्र की सीढी पर चढ,
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गीत बने हारिल मतवाले !
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देवदारु की हरित शिखर पर
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अन्तिम नीड बनायेँगे स्वर,
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शुभ्र हिमालय की छाया मेँ,
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लय हो जायेँगे, लय वाले !
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[ स्व. पँ. नरेन्द्र शर्मा ]
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ऐसे हैं सुख सपन हमारे
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बन बन कर मिट जाते जैसे
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बालू के घर नदी किनारे
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ऐसे हैं सुख सपन हमारे....
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लहरें आतीं, बह बह जातीं
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रेखाए बस रह रह जातीं
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जाते पल को कौन पुकारे
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ऐसे हैं सुख सपन हमारे....
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ऐसी इन सपनों की माया
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जल पर जैसे चाँद की छाया
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चाँद किसी के हाथ न आया
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चाहे जितना हाथ पसारे
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ऐसे हैं सुख सपन हमारे....
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'''ज्योति पर्व : ज्योति वंदना'''
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जीवन की अँधियारी रात हो उजारी !
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धरती पर धरो चरण तिमिर-तमहारीपरम व्योमचारी!
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चरण धरो, दीपंकर, जाए कट तिमिर-पाश!
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दिशि-दिशि में चरण धूलि छाए बन कर-प्रकाश!
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आओ, नक्षत्र-पुरुष,गगन-वन-विहारीपरम व्योमचारी!
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आओ तुम, दीपों कोनिरावरण करे निशा!
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चरणों में स्वर्ण-हासबिखरा दे दिशा-दिशा!
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पा कर आलोक, मृत्यु-लोक हो सुखारीनयन हों पुजारी!
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सुख सुहाग की दीव्य ~ ज्योति से,
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घर आँगन मुस्काये,
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ज्योति चरण धर कर दीवाली,
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घर आँगन नित आये"
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रचना : पँ.नरेद्र शर्मा --
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10:08, 8 नवम्बर 2022 के समय का अवतरण

नरेन्द्र शर्मा
Narendra sharma.jpg
जन्म 28 फ़रवरी 1913
निधन 11 फ़रवरी 1989
उपनाम
जन्म स्थान जहाँगीरपुर, जिला खुर्जा, उत्तर प्रदेश, भारत
कुछ प्रमुख कृतियाँ
शूल-फूल (1934), कर्ण-फूल (1936), प्रभात-फेरी (1938), प्रवासी के गीत (1939), कामिनी (1943), मिट्टी और फूल (1943), पलाश-वन (1943), हंस माला (1946), रक्तचंदन (1949), अग्निशस्य (1950), कदली-वन (1953), द्रौपदी (1960), प्यासा-निर्झर (1964), उत्तर जय (1965), बहुत रात गये (1967), सुवर्णा (1971), सुवीरा (1973)
विविध
पंडित नरेन्द्र शर्मा ने हिन्दी-फ़िल्मों के लिये बहुत से गीत लिखे। उनके 17 कविता संग्रह, एक कहानी संग्रह, एक जीवनी और अनेक रचनाएँ पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। इसके अलावा उस समय की प्रमुख साहित्यिक पत्रिकाओं 'सरस्वती' में 1932 में और 'चांद' में 1933 मेँ इनकी प्रारम्भिक रचनाएँ और स्फुट कविताएँ व समीक्षा इत्यादि छपती रही हैं।
जीवन परिचय
नरेन्द्र शर्मा / परिचय
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कविता / गीत संग्रह

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