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"एक और दिन / गुलज़ार" के अवतरणों में अंतर

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खाली डिब्बा है फ़क़त, खोला हुआ चीरा हुआ
 
खाली डिब्बा है फ़क़त, खोला हुआ चीरा हुआ
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यूँ भी होता है कोई खाली-सा- बेकार-सा दिन  
 
यूँ भी होता है कोई खाली-सा- बेकार-सा दिन  
ऐसा बेरंग-सा बेमानी-सा बेमान-सा दिन   
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ऐसा बेरंग-सा बेमानी-सा बेनाम-सा दिन   
 
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19:24, 23 सितम्बर 2010 के समय का अवतरण

खाली डिब्बा है फ़क़त, खोला हुआ चीरा हुआ
यूँ ही दीवारों से भिड़ता हुआ, टकराता हुआ
बेवजह सड़कों पे बिखरा हुआ, फैलाया हुआ
ठोकरें खाता हुआ खाली लुढ़कता डिब्बा

यूँ भी होता है कोई खाली-सा- बेकार-सा दिन
ऐसा बेरंग-सा बेमानी-सा बेनाम-सा दिन