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"गुड़िया-3 / नीरज दइया" के अवतरणों में अंतर
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06:22, 16 मई 2013 के समय का अवतरण
तुम आई हो
किसी अन्य लोक से
बन कर सुंदर-सी गुडिय़ा
जब भी देखता हूं-
पाता हूं तुम्हें
मासूम-सी!
अब बचपन जा चुका
कहां छुपा सकता हूं तुम्हें -
सिवाय मन के!