भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"परिन्दे / मुकेश मानस" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मुकेश मानस |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> परिन्दे उड़ो कि त…)
 
 
पंक्ति 7: पंक्ति 7:
 
<poem>
 
<poem>
  
परिन्दे
 
 
उड़ो
 
उड़ो
 
कि तुम परिन्दे हो
 
कि तुम परिन्दे हो

18:06, 23 जुलाई 2010 के समय का अवतरण


उड़ो
कि तुम परिन्दे हो
उड़ो
कि उड़ना तुम्हारा धर्म है
उड़ो
कि सारा आकाश तुम्हारा है
1992