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"किसी लिबास की खुशबू / जॉन एलिया" के अवतरणों में अंतर
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तेरे बदन की जुदाई बहुत सताती है | तेरे बदन की जुदाई बहुत सताती है | ||
− | तेरे बगैर मुझे | + | तेरे बगैर मुझे चैन कैसे पड़ता है |
− | + | मेरे बगैर तुझे नींद कैसे आती है | |
रिश्ता-ए-दिल तेरे ज़माने में | रिश्ता-ए-दिल तेरे ज़माने में | ||
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रो न पड़ते अगर खुशी होती | रो न पड़ते अगर खुशी होती | ||
− | दिल | + | दिल में जिनका कोई निशाँ न रहा |
− | + | क्यों न चेहरो पे वो रंग खिले | |
− | अब तो | + | अब तो ख़ाली है रूह जज़्बों से |
− | अब भी क्या तबाज़ से | + | अब भी क्या तबाज़ से न मिले |
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13:04, 1 अगस्त 2010 के समय का अवतरण
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किसी लिबास की ख़ुशबू जब उड़ के आती है
तेरे बदन की जुदाई बहुत सताती है
तेरे बगैर मुझे चैन कैसे पड़ता है
मेरे बगैर तुझे नींद कैसे आती है
रिश्ता-ए-दिल तेरे ज़माने में
रस्म ही क्या निभानी होती
मुस्कुराए हम उससे मिलते वक्त
रो न पड़ते अगर खुशी होती
दिल में जिनका कोई निशाँ न रहा
क्यों न चेहरो पे वो रंग खिले
अब तो ख़ाली है रूह जज़्बों से
अब भी क्या तबाज़ से न मिले