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"मुंडेर पर पतझड़ / अशोक लव" के अवतरणों में अंतर
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छो (मुंडेर पर पतझड़ /अशोक लव का नाम बदलकर मुंडेर पर पतझड़ / अशोक लव कर दिया गया है) |
(कोई अंतर नहीं)
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23:26, 9 अगस्त 2010 के समय का अवतरण
एकाकीपन के मध्य
स्मृतियों के खुले आकाश पर
विचरण कर रहे हैं
उदासियों के पक्षी
कहाँ-कहाँ से उड़ते चले आ रहे हैं
बैठते चले जा रहे हैं
मन मुंडेर पर!
भीग गया है अंतस का कोना-कोना
क्यों आ जाता है
वसंत के तुंरत बाद
पतझड़ ?
क्यों नहीं भाती उदासियों को
खुशियों की
नन्ही चमकीली बूँदें ?