"नाम-रूप का भेद / नाम बड़े और दर्शन छोटे / काका हाथरसी" के अवतरणों में अंतर
(नया पृष्ठ: नाम - रूप के भेद पर कभी किया है ग़ौर ? नाम मिला कुछ और तो शक्ल - अक्ल क…) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) छो ("नाम-रूप का भेद / नाम बड़े और दर्शन छोटे / काका हाथरसी" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite))) |
||
(इसी सदस्य द्वारा किये गये बीच के 4 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | नाम - रूप के भेद पर कभी किया है ग़ौर ? | + | {{KKGlobal}} |
− | नाम मिला कुछ और तो शक्ल - अक्ल कुछ | + | {{KKRachna |
+ | |रचनाकार= काका हाथरसी | ||
+ | |संग्रह=काका तरंग / काका हाथरसी | ||
+ | }} | ||
+ | {{KKCatKavita}} | ||
+ | <poem> | ||
+ | नाम-रूप के भेद पर कभी किया है ग़ौर ? | ||
+ | नाम मिला कुछ और तो शक्ल-अक्ल कुछ और।। | ||
− | शक्ल - अक्ल कुछ और नयनसुख देखे काने । | + | शक्ल-अक्ल कुछ और नयनसुख देखे काने । |
− | बाबू सुंदरलाल बनाये ऐंचकताने | + | बाबू सुंदरलाल बनाये ऐंचकताने ।। |
− | कहँ | + | कहँ ‘काका' कवि, दयाराम जी मारें मच्छर । |
− | विद्याधर को भैंस बराबर काला अक्षर | + | विद्याधर को भैंस बराबर काला अक्षर ।। |
− | + | ||
मुंशी चंदालाल का तारकोल सा रूप । | मुंशी चंदालाल का तारकोल सा रूप । | ||
− | श्यामलाल का रंग है जैसे खिलती धूप | + | श्यामलाल का रंग है जैसे खिलती धूप ।। |
− | जैसे खिलती धूप , सजे बुश्शर्ट पैंट में - | + | जैसे खिलती धूप, सजे बुश्शर्ट पैंट में- |
− | ज्ञानचंद छै बार फ़ेल हो गये टैंथ में | + | ज्ञानचंद छै बार फ़ेल हो गये टैंथ में ।। |
− | कहँ | + | कहँ ‘काका' ज्वालाप्रसाद जी बिल्कुल ठंडे । |
− | पंडित शांतिस्वरूप चलाते देखे डंडे | + | पंडित शांतिस्वरूप चलाते देखे डंडे ।। |
− | |||
देख अशर्फ़ीलाल के घर में टूटी खाट । | देख अशर्फ़ीलाल के घर में टूटी खाट । | ||
− | सेठ भिखारीदास के मील चल रहे आठ | + | सेठ भिखारीदास के मील चल रहे आठ ।। |
− | मील चल रहे आठ , करम के मिटें न लेखे । | + | मील चल रहे आठ, करम के मिटें न लेखे । |
− | धनीराम जी हमने प्रायः निर्धन देखे | + | धनीराम जी हमने प्रायः निर्धन देखे ।। |
− | कहँ | + | कहँ ‘काका' कवि, दूल्हेराम मर गये कुँवारे । |
− | बिना प्रियतमा तड़पें प्रीतमसिंह बेचारे | + | बिना प्रियतमा तड़पें प्रीतमसिंह बेचारे ।। |
− | + | ||
− | + | ||
पेट न अपना भर सके जीवन भर जगपाल । | पेट न अपना भर सके जीवन भर जगपाल । | ||
− | बिना | + | बिना सूँड़ के सैकड़ों मिलें गणेशीलाल ।। |
− | मिलें गणेशीलाल , पैंट की क्रीज़ सम्हारी । | + | मिलें गणेशीलाल, पैंट की क्रीज़ सम्हारी । |
− | बैग कुली को दिया , चले मिस्टर गिरधारी | + | बैग कुली को दिया, चले मिस्टर गिरधारी ।। |
− | कहँ | + | कहँ ‘काका' कविराय, करें लाखों का सट्टा । |
− | नाम हवेलीराम किराये का है अट्टा | + | नाम हवेलीराम किराये का है अट्टा ।। |
− | + | ||
− | चतुरसेन बुद्धू मिले , बुद्धसेन निर्बुद्ध । | + | चतुरसेन बुद्धू मिले, बुद्धसेन निर्बुद्ध । |
− | श्री आनंदीलाल जी रहें सर्वदा क्रुद्ध | + | श्री आनंदीलाल जी रहें सर्वदा क्रुद्ध ।। |
रहें सर्वदा क्रुद्ध , मास्टर चक्कर खाते । | रहें सर्वदा क्रुद्ध , मास्टर चक्कर खाते । | ||
− | इंसानों को मुंशी तोताराम पढ़ाते | + | इंसानों को मुंशी तोताराम पढ़ाते ।। |
− | कहँ | + | कहँ ‘काका', बलवीर सिंह जी लटे हुए हैं । |
− | थानसिंह के सारे कपड़े फटे | + | थानसिंह के सारे कपड़े फटे हुए हैं ।। |
− | + | ||
− | बेच रहे हैं कोयला , लाला हीरालाल । | + | बेच रहे हैं कोयला, लाला हीरालाल । |
− | सूखे गंगाराम जी , रूखे मक्खनलाल | + | सूखे गंगाराम जी, रूखे मक्खनलाल ।। |
− | रूखे मक्खनलाल , झींकते दादा - दादी । | + | रूखे मक्खनलाल, झींकते दादा-दादी । |
− | निकले बेटा आशाराम निराशावादी | + | निकले बेटा आशाराम निराशावादी ।। |
कहँ ‘काका' कवि, भीमसेन पिद्दी से दिखते । | कहँ ‘काका' कवि, भीमसेन पिद्दी से दिखते । | ||
− | कविवर ‘दिनकर’ | + | कविवर ‘दिनकर’ छायावादी कविता लिखते ।। |
− | + | ||
− | तेजपाल जी भोथरे , मरियल से मलखान । | + | तेजपाल जी भोथरे, मरियल से मलखान । |
− | लाला दानसहाय ने करी न कौड़ी दान | + | लाला दानसहाय ने करी न कौड़ी दान ।। |
− | करी न कौड़ी दान , बात अचरज की भाई । | + | करी न कौड़ी दान, बात अचरज की भाई । |
− | वंशीधर ने जीवन - भर वंशी न बजाई | + | वंशीधर ने जीवन-भर वंशी न बजाई ।। |
− | कहँ | + | कहँ ‘काका' कवि, फूलचंद जी इतने भारी । |
− | दर्शन करते ही टूट जाये कुर्सी बेचारी | + | दर्शन करते ही टूट जाये कुर्सी बेचारी ।। |
− | + | ||
− | खट्टे - खारी - खुरखुरे मृदुलाजी के बैन । | + | खट्टे-खारी-खुरखुरे मृदुलाजी के बैन । |
− | मृगनयनी के देखिये चिलगोजा से नैन | + | मृगनयनी के देखिये चिलगोजा से नैन ।। |
− | चिलगोजा से नैन, | + | चिलगोजा से नैन, शांता करतीं दंगा । |
− | नल पर न्हाती देखीं हमने यमुना, गंगा | + | नल पर न्हाती देखीं हमने यमुना, गंगा ।। |
− | कहँ | + | कहँ ‘काका' कवि, लज्जावती दहाड़ रही हैं । |
− | दर्शन देवी लंबा घूँघट काढ़ रही हैं | + | दर्शन देवी लंबा घूँघट काढ़ रही हैं ।। |
− | + | ||
अज्ञानी निकले निरे पंडित ज्ञानीराम । | अज्ञानी निकले निरे पंडित ज्ञानीराम । | ||
− | कौशल्या के पुत्र का रक्खा दशरथ नाम | + | कौशल्या के पुत्र का रक्खा दशरथ नाम ।। |
− | रक्खा दशरथ नाम , मेल क्या खूब मिलाया । | + | रक्खा दशरथ नाम, मेल क्या खूब मिलाया । |
− | दूल्हा संतराम को आई दुल्हन माया | + | दूल्हा संतराम को आई दुल्हन माया ।। |
− | ‘काका' कोई - कोई रिश्ता बड़ा निकम्मा । | + | ‘काका' कोई-कोई रिश्ता बड़ा निकम्मा । |
− | पार्वती देवी हैं शिवशंकर की अम्मा | + | पार्वती देवी हैं शिवशंकर की अम्मा ।। |
− | + | ||
− | + | ||
दूर युद्ध से भागते नाम रखा रणधीर । | दूर युद्ध से भागते नाम रखा रणधीर । | ||
− | भागचन्द की आज तक सोई है तकदीर | + | भागचन्द की आज तक सोई है तकदीर ।। |
− | सोई है तकदीर, बहुत से देखे भाले | + | सोई है तकदीर, बहुत से देखे भाले । |
− | निकले प्रिय सुखदेव सभी | + | निकले प्रिय सुखदेव सभी दुःख देने वाले ।। |
कह काका कविराय आँकड़े बिलकुल सच्चे । | कह काका कविराय आँकड़े बिलकुल सच्चे । | ||
− | बालकराम ब्रह्मचारी के बारह बच्चे | + | बालकराम ब्रह्मचारी के बारह बच्चे ।। |
− | + | ||
− | + | ||
− | आकुल व्याकुल दीखते शर्मा परमानन्द | + | आकुल व्याकुल दीखते शर्मा परमानन्द । |
− | कार्य अधूरे छोड़कर भागे पूरनचँद | + | कार्य अधूरे छोड़कर भागे पूरनचँद ।। |
− | भागे पूरनचँद, अमर जी मरते देखे | + | भागे पूरनचँद, अमर जी मरते देखे । |
− | मिश्रीबाबू कड़वी बातें करते देखे | + | मिश्रीबाबू कड़वी बातें करते देखे ।। |
− | कह काका भण्डारासिंह जी रीते-थोथे | + | कह काका भण्डारासिंह जी रीते-थोथे । |
− | बीत गया जीवन विनोद का रोते-धोते | + | बीत गया जीवन विनोद का रोते-धोते ।। |
− | + | ||
− | शीला जीजी लड़ रही, सरला करती शोर | + | शीला जीजी लड़ रही, सरला करती शोर । |
− | कुसुम, कमल, पुष्पा, सुमन, निकली बड़ी कठोर | + | कुसुम, कमल, पुष्पा, सुमन, निकली बड़ी कठोर ।। |
− | निकली बड़ी कठोर, निर्मला मन की मैली | + | निकली बड़ी कठोर, निर्मला मन की मैली । |
− | सुधा सहेली अमृताबाई सुनी विषैली | + | सुधा सहेली अमृताबाई सुनी विषैली ।। |
− | कह काका कवि बाबूजी क्या देखा तुमने | + | कह काका कवि बाबूजी क्या देखा तुमने ? |
− | बल्ली जैसी मिस लल्ली देखीं हैं हमने | + | बल्ली जैसी मिस लल्ली देखीं हैं हमने ।। |
− | + | ||
− | कलयुग में कैसे निभे पति पत्नी | + | कलयुग में कैसे निभे पति-पत्नी का साथ । |
− | चपलादेवी को मिले बाबू भोलेनाथ | + | चपलादेवी को मिले बाबू भोलेनाथ ।। |
बाबू भोलेनाथ कहाँ तक कहें कहानी । | बाबू भोलेनाथ कहाँ तक कहें कहानी । | ||
− | पंडित रामचंद्र की पत्नी राधारानी | + | पंडित रामचंद्र की पत्नी राधारानी ।। |
− | काका लक्ष्मीनारायन की गृहणी रीता | + | काका लक्ष्मीनारायन की गृहणी रीता । |
− | कृष्णचंद्र की | + | कृष्णचंद्र की वाइफ़ बन कर आई सीता ।। |
− | + | ||
− | पूँछ न आधी इंच भी कहलाते हनुमान | + | पूँछ न आधी इंच भी कहलाते हनुमान । |
− | मिले न अर्जुनलाल के घर में तीर कमान | + | मिले न अर्जुनलाल के घर में तीर कमान ।। |
− | घर में तीर कमान, बदी करता है नेका | + | घर में तीर कमान, बदी करता है नेका । |
− | तीर्थराज ने कभी न | + | तीर्थराज ने कभी न इलाहाबाद देखा ।। |
सत्यपाल काका की रक़म डकार चुके हैं । | सत्यपाल काका की रक़म डकार चुके हैं । | ||
− | विजयसिंह दस बार इलेक्शन हार चुके हैं | + | विजयसिंह दस बार इलेक्शन हार चुके हैं ।। |
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | रहे सदा अस्वस्थ | + | सुखीरामजी अति दुःखी दुःखीराम अलमस्त । |
− | + | हिकमतराय हकीमजी रहे सदा अस्वस्थ ।। | |
− | + | रहे सदा अस्वस्थ, प्रभु की देखो माया । | |
− | + | प्रेमचन्द में रत्तीभर भी प्रेम न पाया ।। | |
+ | कह काका जब वृत-उपवासों के दिन आते । | ||
+ | त्यागी साहब अन्न त्याग कर रिश्वत खाते ।। | ||
− | रामराज के घाट पर आता जब भूचाल | + | रामराज के घाट पर आता जब भूचाल । |
− | लुढ़क जाएँ श्रीतख्तमल बैठे घूरेलाल | + | लुढ़क जाएँ श्रीतख्तमल बैठे घूरेलाल ।। |
− | बैठे घूरेलाल रंग | + | बैठे घूरेलाल रंग क़िस्मत दिखलाती । |
− | इत्रसिंह के कपड़ों में से बदबू आती | + | इत्रसिंह के कपड़ों में से बदबू आती ।। |
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
+ | कह काका गम्भीरसिंह मुँह फाड़ रहे हैं । | ||
+ | महाराज लाला की गद्दी झाड़ रहे हैं ।। | ||
− | दूधनाथ जी पी रहे सपरेटा की चाय | + | दूधनाथ जी पी रहे सपरेटा की चाय । |
− | गुरु गोपालप्रसाद के घर में मिली न गाय | + | गुरु गोपालप्रसाद के घर में मिली न गाय ।। |
− | घर में मिली न गाय, समझ लो असली कारण | + | घर में मिली न गाय, समझ लो असली कारण । |
− | माखन छोड़ डालडा खाते बृजनारायण | + | माखन छोड़ डालडा खाते बृजनारायण ।। |
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
+ | काका प्यारेलाल सदा गुर्राते देखे । | ||
+ | हरिश्चन्द्र जी झूठे केस लड़ाते देखे ।। | ||
− | रूपराम के रूप की निन्दा करते मित्र | + | रूपराम के रूप की निन्दा करते मित्र । |
− | चकित रह गए देख कर कामराज का चित्र | + | चकित रह गए देख कर कामराज का चित्र ।। |
कामराज का चित्र थक गए करके विनती । | कामराज का चित्र थक गए करके विनती । | ||
− | यादराम को याद न होती सौ तक गिनती | + | यादराम को याद न होती सौ तक गिनती ।। |
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
+ | कह काका कविराय बड़े निकले बेदर्दी । | ||
+ | भरतराम ने चरतराम पर नालिश कर दी ।। | ||
− | नाम धाम से काम का क्या है सामञ्जस्य ? | + | नाम-धाम से काम का क्या है सामञ्जस्य ? |
− | किसी पार्टी के नहीं झंडाराम सदस्य | + | किसी पार्टी के नहीं झंडाराम सदस्य ।। |
झंडाराम सदस्य, भाग्य की मिले न रेखा । | झंडाराम सदस्य, भाग्य की मिले न रेखा । | ||
− | स्वर्णसिंह के हाथ कड़ा लोहे का देखा | + | स्वर्णसिंह के हाथ कड़ा लोहे का देखा ।। |
− | कह काका कंठस्थ करो ये बड़े काम की | + | कह काका कंठस्थ करो ये बड़े काम की । |
− | माला पूरी हुई एक सौ आठ नाम की | + | माला पूरी हुई एक सौ आठ नाम की ।। |
+ | </poem> |
10:13, 16 अगस्त 2010 के समय का अवतरण
नाम-रूप के भेद पर कभी किया है ग़ौर ?
नाम मिला कुछ और तो शक्ल-अक्ल कुछ और।।
शक्ल-अक्ल कुछ और नयनसुख देखे काने ।
बाबू सुंदरलाल बनाये ऐंचकताने ।।
कहँ ‘काका' कवि, दयाराम जी मारें मच्छर ।
विद्याधर को भैंस बराबर काला अक्षर ।।
मुंशी चंदालाल का तारकोल सा रूप ।
श्यामलाल का रंग है जैसे खिलती धूप ।।
जैसे खिलती धूप, सजे बुश्शर्ट पैंट में-
ज्ञानचंद छै बार फ़ेल हो गये टैंथ में ।।
कहँ ‘काका' ज्वालाप्रसाद जी बिल्कुल ठंडे ।
पंडित शांतिस्वरूप चलाते देखे डंडे ।।
देख अशर्फ़ीलाल के घर में टूटी खाट ।
सेठ भिखारीदास के मील चल रहे आठ ।।
मील चल रहे आठ, करम के मिटें न लेखे ।
धनीराम जी हमने प्रायः निर्धन देखे ।।
कहँ ‘काका' कवि, दूल्हेराम मर गये कुँवारे ।
बिना प्रियतमा तड़पें प्रीतमसिंह बेचारे ।।
पेट न अपना भर सके जीवन भर जगपाल ।
बिना सूँड़ के सैकड़ों मिलें गणेशीलाल ।।
मिलें गणेशीलाल, पैंट की क्रीज़ सम्हारी ।
बैग कुली को दिया, चले मिस्टर गिरधारी ।।
कहँ ‘काका' कविराय, करें लाखों का सट्टा ।
नाम हवेलीराम किराये का है अट्टा ।।
चतुरसेन बुद्धू मिले, बुद्धसेन निर्बुद्ध ।
श्री आनंदीलाल जी रहें सर्वदा क्रुद्ध ।।
रहें सर्वदा क्रुद्ध , मास्टर चक्कर खाते ।
इंसानों को मुंशी तोताराम पढ़ाते ।।
कहँ ‘काका', बलवीर सिंह जी लटे हुए हैं ।
थानसिंह के सारे कपड़े फटे हुए हैं ।।
बेच रहे हैं कोयला, लाला हीरालाल ।
सूखे गंगाराम जी, रूखे मक्खनलाल ।।
रूखे मक्खनलाल, झींकते दादा-दादी ।
निकले बेटा आशाराम निराशावादी ।।
कहँ ‘काका' कवि, भीमसेन पिद्दी से दिखते ।
कविवर ‘दिनकर’ छायावादी कविता लिखते ।।
तेजपाल जी भोथरे, मरियल से मलखान ।
लाला दानसहाय ने करी न कौड़ी दान ।।
करी न कौड़ी दान, बात अचरज की भाई ।
वंशीधर ने जीवन-भर वंशी न बजाई ।।
कहँ ‘काका' कवि, फूलचंद जी इतने भारी ।
दर्शन करते ही टूट जाये कुर्सी बेचारी ।।
खट्टे-खारी-खुरखुरे मृदुलाजी के बैन ।
मृगनयनी के देखिये चिलगोजा से नैन ।।
चिलगोजा से नैन, शांता करतीं दंगा ।
नल पर न्हाती देखीं हमने यमुना, गंगा ।।
कहँ ‘काका' कवि, लज्जावती दहाड़ रही हैं ।
दर्शन देवी लंबा घूँघट काढ़ रही हैं ।।
अज्ञानी निकले निरे पंडित ज्ञानीराम ।
कौशल्या के पुत्र का रक्खा दशरथ नाम ।।
रक्खा दशरथ नाम, मेल क्या खूब मिलाया ।
दूल्हा संतराम को आई दुल्हन माया ।।
‘काका' कोई-कोई रिश्ता बड़ा निकम्मा ।
पार्वती देवी हैं शिवशंकर की अम्मा ।।
दूर युद्ध से भागते नाम रखा रणधीर ।
भागचन्द की आज तक सोई है तकदीर ।।
सोई है तकदीर, बहुत से देखे भाले ।
निकले प्रिय सुखदेव सभी दुःख देने वाले ।।
कह काका कविराय आँकड़े बिलकुल सच्चे ।
बालकराम ब्रह्मचारी के बारह बच्चे ।।
आकुल व्याकुल दीखते शर्मा परमानन्द ।
कार्य अधूरे छोड़कर भागे पूरनचँद ।।
भागे पूरनचँद, अमर जी मरते देखे ।
मिश्रीबाबू कड़वी बातें करते देखे ।।
कह काका भण्डारासिंह जी रीते-थोथे ।
बीत गया जीवन विनोद का रोते-धोते ।।
शीला जीजी लड़ रही, सरला करती शोर ।
कुसुम, कमल, पुष्पा, सुमन, निकली बड़ी कठोर ।।
निकली बड़ी कठोर, निर्मला मन की मैली ।
सुधा सहेली अमृताबाई सुनी विषैली ।।
कह काका कवि बाबूजी क्या देखा तुमने ?
बल्ली जैसी मिस लल्ली देखीं हैं हमने ।।
कलयुग में कैसे निभे पति-पत्नी का साथ ।
चपलादेवी को मिले बाबू भोलेनाथ ।।
बाबू भोलेनाथ कहाँ तक कहें कहानी ।
पंडित रामचंद्र की पत्नी राधारानी ।।
काका लक्ष्मीनारायन की गृहणी रीता ।
कृष्णचंद्र की वाइफ़ बन कर आई सीता ।।
पूँछ न आधी इंच भी कहलाते हनुमान ।
मिले न अर्जुनलाल के घर में तीर कमान ।।
घर में तीर कमान, बदी करता है नेका ।
तीर्थराज ने कभी न इलाहाबाद देखा ।।
सत्यपाल काका की रक़म डकार चुके हैं ।
विजयसिंह दस बार इलेक्शन हार चुके हैं ।।
सुखीरामजी अति दुःखी दुःखीराम अलमस्त ।
हिकमतराय हकीमजी रहे सदा अस्वस्थ ।।
रहे सदा अस्वस्थ, प्रभु की देखो माया ।
प्रेमचन्द में रत्तीभर भी प्रेम न पाया ।।
कह काका जब वृत-उपवासों के दिन आते ।
त्यागी साहब अन्न त्याग कर रिश्वत खाते ।।
रामराज के घाट पर आता जब भूचाल ।
लुढ़क जाएँ श्रीतख्तमल बैठे घूरेलाल ।।
बैठे घूरेलाल रंग क़िस्मत दिखलाती ।
इत्रसिंह के कपड़ों में से बदबू आती ।।
कह काका गम्भीरसिंह मुँह फाड़ रहे हैं ।
महाराज लाला की गद्दी झाड़ रहे हैं ।।
दूधनाथ जी पी रहे सपरेटा की चाय ।
गुरु गोपालप्रसाद के घर में मिली न गाय ।।
घर में मिली न गाय, समझ लो असली कारण ।
माखन छोड़ डालडा खाते बृजनारायण ।।
काका प्यारेलाल सदा गुर्राते देखे ।
हरिश्चन्द्र जी झूठे केस लड़ाते देखे ।।
रूपराम के रूप की निन्दा करते मित्र ।
चकित रह गए देख कर कामराज का चित्र ।।
कामराज का चित्र थक गए करके विनती ।
यादराम को याद न होती सौ तक गिनती ।।
कह काका कविराय बड़े निकले बेदर्दी ।
भरतराम ने चरतराम पर नालिश कर दी ।।
नाम-धाम से काम का क्या है सामञ्जस्य ?
किसी पार्टी के नहीं झंडाराम सदस्य ।।
झंडाराम सदस्य, भाग्य की मिले न रेखा ।
स्वर्णसिंह के हाथ कड़ा लोहे का देखा ।।
कह काका कंठस्थ करो ये बड़े काम की ।
माला पूरी हुई एक सौ आठ नाम की ।।