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+ | '''स्वेज अदन (जहाज में), 5 फरवरी, 1956''' | ||
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17:31, 8 अगस्त 2012 के समय का अवतरण
खुल गई नाव
घिर आई संझा, सूरज
डूबा सागर-तीरे।
धुंधले पड़ते से जल-पंछी
भर धीरज से
मूक लगे मंडराने,
सूना तारा उगा
चमक कर
साथी लगा बुलाने।
तब फिर सिहरी हवा
लहरियाँ काँपीं
तब फिर मूर्छित
व्यथा विदा की
जागी धीरे-धीरे।
स्वेज अदन (जहाज में), 5 फरवरी, 1956