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"होते रहेंगे बहरे ये कान जाने कब तक / नागार्जुन" के अवतरणों में अंतर
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होते रहेंगे बहरे ये कान जाने कब तक | होते रहेंगे बहरे ये कान जाने कब तक | ||
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ताम-झाम वाले नकली मेघों की दहाड़ में | ताम-झाम वाले नकली मेघों की दहाड़ में | ||
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अभी तो करुणामय हमदर्द बादल | अभी तो करुणामय हमदर्द बादल | ||
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दूर, बहुत दूर, छिपे हैं ऊपर आड़ में | दूर, बहुत दूर, छिपे हैं ऊपर आड़ में | ||
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यों ही गुजरेंगे हमेशा नहीं दिन | यों ही गुजरेंगे हमेशा नहीं दिन | ||
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बेहोशी में, खीझ में, घुटन में, ऊबों में | बेहोशी में, खीझ में, घुटन में, ऊबों में | ||
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आएंगी वापस ज़रूर हरियालियां | आएंगी वापस ज़रूर हरियालियां | ||
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घिसी-पिटी झुलसी हुई दूबों में | घिसी-पिटी झुलसी हुई दूबों में | ||
− | + | (१९७६ में रचित) | |
− | (१९७६ में रचित | + | </poem> |
19:24, 26 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण
होते रहेंगे बहरे ये कान जाने कब तक
ताम-झाम वाले नकली मेघों की दहाड़ में
अभी तो करुणामय हमदर्द बादल
दूर, बहुत दूर, छिपे हैं ऊपर आड़ में
यों ही गुजरेंगे हमेशा नहीं दिन
बेहोशी में, खीझ में, घुटन में, ऊबों में
आएंगी वापस ज़रूर हरियालियां
घिसी-पिटी झुलसी हुई दूबों में
(१९७६ में रचित)