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"टूटें सकल बन्ध / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"" के अवतरणों में अंतर
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जागे तिमिर अन्ध। | जागे तिमिर अन्ध। | ||
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23:01, 8 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण
टूटें सकल बन्ध
कलि के, दिशा-ज्ञान-गत हो बहे गन्ध।
रुद्ध जो धार रे
शिखर - निर्झर झरे
मधुर कलरव भरे
शून्य शत-शत रन्ध्र।
रश्मि ऋजु खींच दे
चित्र शत रंग के,
वर्ण - जीवन फले,
जागे तिमिर अन्ध।