भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"तीस साल के बाद... / नागार्जुन" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: रचनाकार: नागार्जुन Category:कविताएँ Category:नागार्जुन ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~ शासक बदल...)
 
 
(2 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 4 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
रचनाकार: [[नागार्जुन]]
+
{{KKGlobal}}
[[Category:कविताएँ]]
+
{{KKRachna
[[Category:नागार्जुन]]
+
|रचनाकार=नागार्जुन
 
+
|संग्रह=खिचड़ी विप्लव देखा हमने / नागार्जुन
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~
+
}}
 
+
{{KKCatKavita}}
 
+
<poem>
 
शासक बदले, झंडा बदला, तीस साल के बाद
 
शासक बदले, झंडा बदला, तीस साल के बाद
 
 
नेहरू-शास्त्री  और  इन्दिरा  हमें  रहेंगे  याद
 
नेहरू-शास्त्री  और  इन्दिरा  हमें  रहेंगे  याद
 
  
 
जनता बदली, नेता बदले  तीस साल के बाद
 
जनता बदली, नेता बदले  तीस साल के बाद
 
 
बदला समर, विजेता बदले तीस साल के बाद
 
बदला समर, विजेता बदले तीस साल के बाद
 
  
 
कोटि-कोटि मतपत्र बन गए  जादू  वाले  बाण
 
कोटि-कोटि मतपत्र बन गए  जादू  वाले  बाण
 
+
मूर्छित भारत-माँ के तन में  वापस आए प्राण
मूर्छित भारत-मां के तन में  वापस आए प्राण
+
 
+
  
 
प्रभुता  की  पीनक  में  नेहरू  पुत्री  थी बदहोश
 
प्रभुता  की  पीनक  में  नेहरू  पुत्री  थी बदहोश
 
 
जन गण मन में दबा पड़ा था बहुत-बहुत आक्रोश
 
जन गण मन में दबा पड़ा था बहुत-बहुत आक्रोश
 
  
 
नसबन्दी  के  ज़ोर-जुलुम  से मचा बहुत कोहराम
 
नसबन्दी  के  ज़ोर-जुलुम  से मचा बहुत कोहराम
 
 
किया सभी ने उस शासन को अन्तिम बार  सलाम
 
किया सभी ने उस शासन को अन्तिम बार  सलाम
  
 
+
(१९७७)
(१९७७ में रचित,'खिचड़ी विप्लव देखा हमने' नामक कविता-संग्रह से)
+
</poem>

12:07, 18 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण

शासक बदले, झंडा बदला, तीस साल के बाद
नेहरू-शास्त्री और इन्दिरा हमें रहेंगे याद

जनता बदली, नेता बदले तीस साल के बाद
बदला समर, विजेता बदले तीस साल के बाद

कोटि-कोटि मतपत्र बन गए जादू वाले बाण
मूर्छित भारत-माँ के तन में वापस आए प्राण

प्रभुता की पीनक में नेहरू पुत्री थी बदहोश
जन गण मन में दबा पड़ा था बहुत-बहुत आक्रोश

नसबन्दी के ज़ोर-जुलुम से मचा बहुत कोहराम
किया सभी ने उस शासन को अन्तिम बार सलाम

(१९७७)