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"बोलता चांद / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर

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चुप-बोलती
 
चुप-बोलती
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खोलता है चांद ।
 
खोलता है चांद ।
 
 
(पंख और पतवार' नामक कविता-संग्रह से)
 

23:30, 1 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण

चुप-बोलती

चांदनी में,

बोलता है चांद


आसमान का

नीलम-रहस्य

ज़मीन में

खोलता है चांद ।