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"बात बड़ी है लगती छोटी/ सर्वत एम जमाल" के अवतरणों में अंतर

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बात बड़ी है लगती छोटी
 
बात बड़ी है लगती छोटी
ईमां ईमां , रोटी रोटी
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ईमां ईमां, रोटी रोटी
  
 
जीवन का ये अर्थ नहीं है
 
जीवन का ये अर्थ नहीं है
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शायद सूरज उग आएगा
 
शायद सूरज उग आएगा
सुर्ख हुई है पेड़ की  चोटी
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सुर्ख़ हुई है पेड़ की  चोटी
  
 
उसको देखो तब समझोगे
 
उसको देखो तब समझोगे
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आँखों पे पट्टी चढ़ती है  
 
आँखों पे पट्टी चढ़ती है  
अक्ल कहाँ होती है मोटी
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अक़्ल कहाँ होती है मोटी
  
 
अब वो भी ताने देते हैं
 
अब वो भी ताने देते हैं
जिनको दे दी बोटी बोटी
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जिनको दे दी बोटी-बोटी
  
 
जीवन की शतरंज पे सर्वत  
 
जीवन की शतरंज पे सर्वत  
तूं क्या,  सब के सब हैं गोटी</poem>
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तू क्या,  सब के सब हैं गोटी
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13:04, 24 जून 2020 के समय का अवतरण

बात बड़ी है लगती छोटी
ईमां ईमां, रोटी रोटी

जीवन का ये अर्थ नहीं है
पेट में चारा तन पे लंगोटी

शायद सूरज उग आएगा
सुर्ख़ हुई है पेड़ की चोटी

उसको देखो तब समझोगे
क्यों होती है नीयत खोटी

आँखों पे पट्टी चढ़ती है
अक़्ल कहाँ होती है मोटी

अब वो भी ताने देते हैं
जिनको दे दी बोटी-बोटी

जीवन की शतरंज पे सर्वत
तू क्या, सब के सब हैं गोटी