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"थरथराता रहा / शमशेर बहादुर सिंह" के अवतरणों में अंतर

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’''एक विचित्र प्रेम अनुभूति'''
{एक विचित्र प्रेम अनुभूति}
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थरथराता रहा जैसे बेंत
 
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मेरा काय...कितनी देर तक
 
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आपादमस्तक
 
आपादमस्तक
 
 
एक पीपल-पात मैं थरथर ।
 
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काँपती काया शिराओं-भरी
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झन-झन
 
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देर तक बजती रही
 
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और समस्त वातावरण
 
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मानो झंझावात
 
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ऐसा क्षण वह आपात
ऎसा क्षण वह आपात
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स्थिति का
 
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('प्रतिनिधि कविताएं' नामक संग्रह से)
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13:11, 15 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण

एक विचित्र प्रेम अनुभूति'

थरथराता रहा जैसे बेंत
मेरा काय...कितनी देर तक
आपादमस्तक
एक पीपल-पात मैं थरथर ।
काँपती काया शिराओं-भरी
झन-झन
देर तक बजती रही
और समस्त वातावरण
मानो झंझावात
ऐसा क्षण वह आपात
स्थिति का