भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"नंगे पाँवों की याददाश्त / ग्रिगोरी बरादूलिन" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ग्रिगोरी बरादूलिन |संग्रह= }} [[Category: बेलारूसी भाष…) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 11: | पंक्ति 11: | ||
और शलजम के खेत | और शलजम के खेत | ||
यौवन की राहें | यौवन की राहें | ||
− | + | सौन्दर्य का आरम्भ | |
और घाटियों की घास । | और घाटियों की घास । | ||
पंक्ति 17: | पंक्ति 17: | ||
उन नंगे पाँवों का चलना... | उन नंगे पाँवों का चलना... | ||
अब भी बची हैं सदियों पुरानी चरागाहें | अब भी बची हैं सदियों पुरानी चरागाहें | ||
− | और | + | और पगडण्डियों पर चला यौवन । |
तैयार खड़ी रहती थी | तैयार खड़ी रहती थी | ||
− | दवाई के गुणों वाली पत्तियाँ | + | दवाई के गुणों वाली पत्तियाँ — |
पेट में दर्द हो या जलन | पेट में दर्द हो या जलन | ||
सब बीमारियों का वे होती थीं इलाज । | सब बीमारियों का वे होती थीं इलाज । | ||
पंक्ति 28: | पंक्ति 28: | ||
भटकने नहीं देती वह | भटकने नहीं देती वह | ||
पराए दरवाज़ों और पराए आँगनों में । | पराए दरवाज़ों और पराए आँगनों में । | ||
− | |||
'''रूसी से अनुवाद : वरयाम सिंह''' | '''रूसी से अनुवाद : वरयाम सिंह''' | ||
</poem> | </poem> |
13:47, 30 अक्टूबर 2023 के समय का अवतरण
नंगे पाँवों की भी अच्छी होती है याददाश्त
उसमें बरसों तक अक्षुण्ण बने रहते हैं
रेत के टीले
और शलजम के खेत
यौवन की राहें
सौन्दर्य का आरम्भ
और घाटियों की घास ।
उन क़दमों की पहली आहट
उन नंगे पाँवों का चलना...
अब भी बची हैं सदियों पुरानी चरागाहें
और पगडण्डियों पर चला यौवन ।
तैयार खड़ी रहती थी
दवाई के गुणों वाली पत्तियाँ —
पेट में दर्द हो या जलन
सब बीमारियों का वे होती थीं इलाज ।
व्यर्थ नहीं जाएगी
नंगे पाँवों की याददाश्त
भटकने नहीं देती वह
पराए दरवाज़ों और पराए आँगनों में ।
रूसी से अनुवाद : वरयाम सिंह