भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"भगत सिंह / उदयप्रताप सिंह" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Bharat wasi (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: भक्त मात्रभूमि के थे भूमिका स्वतंत्रता की नाम के भगत सिंह काम आग-…) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
(एक अन्य सदस्य द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
+ | {{KKGlobal}} | ||
+ | {{KKRachna | ||
+ | |रचनाकार=उदयप्रताप सिंह | ||
+ | }} | ||
+ | {{KKCatKavita}} | ||
+ | <poem> | ||
भक्त मात्रभूमि के थे भूमिका स्वतंत्रता की | भक्त मात्रभूमि के थे भूमिका स्वतंत्रता की | ||
− | नाम के भगत सिंह काम आग-पानी के | + | नाम के भगत सिंह काम आग-पानी के । |
बहरे विधायकों के कान में धमाका किया | बहरे विधायकों के कान में धमाका किया | ||
− | उग्र अग्रदूत बने | + | उग्र अग्रदूत बने क्राँति की कहानी के । |
दासता के दायकों को काल विकराल हुए | दासता के दायकों को काल विकराल हुए | ||
− | देश को सिखाए उपयोग यों जवानी के | + | देश को सिखाए उपयोग यों जवानी के । |
− | + | फाँसी चूमते समय भी मात् र जयघोष किया | |
− | सारा देश कुर्बान तेरी कुर्बानी के | + | सारा देश कुर्बान तेरी कुर्बानी के । |
+ | </poem> |
03:12, 10 अक्टूबर 2010 के समय का अवतरण
भक्त मात्रभूमि के थे भूमिका स्वतंत्रता की
नाम के भगत सिंह काम आग-पानी के ।
बहरे विधायकों के कान में धमाका किया
उग्र अग्रदूत बने क्राँति की कहानी के ।
दासता के दायकों को काल विकराल हुए
देश को सिखाए उपयोग यों जवानी के ।
फाँसी चूमते समय भी मात् र जयघोष किया
सारा देश कुर्बान तेरी कुर्बानी के ।