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"आना / केदारनाथ सिंह" के अवतरणों में अंतर
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आना | आना | ||
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जब समय मिले | जब समय मिले | ||
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जब समय न मिले | जब समय न मिले | ||
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तब भी आना | तब भी आना | ||
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आना | आना | ||
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जैसे हाथों में | जैसे हाथों में | ||
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आता है जांगर | आता है जांगर | ||
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जैसे धमनियों में | जैसे धमनियों में | ||
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आता है रक्त | आता है रक्त | ||
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जैसे चूल्हों में | जैसे चूल्हों में | ||
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आना | आना | ||
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आना जैसे बारिश के बाद | आना जैसे बारिश के बाद | ||
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बबूल में आ जाते हैं | बबूल में आ जाते हैं | ||
− | + | नए-नए काँटे | |
− | नए-नए | + | |
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दिनों को | दिनों को | ||
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चीरते-फाड़ते | चीरते-फाड़ते | ||
− | + | और वादों की धज्जियाँ उड़ाते हुए | |
− | और वादों की | + | |
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आना | आना | ||
− | |||
आना जैसे मंगल के बाद | आना जैसे मंगल के बाद | ||
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चला आता है बुध | चला आता है बुध | ||
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आना | आना | ||
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14:05, 25 सितम्बर 2009 के समय का अवतरण
आना
जब समय मिले
जब समय न मिले
तब भी आना
आना
जैसे हाथों में
आता है जांगर
जैसे धमनियों में
आता है रक्त
जैसे चूल्हों में
धीरे-धीरे आती है आँच
आना
आना जैसे बारिश के बाद
बबूल में आ जाते हैं
नए-नए काँटे
दिनों को
चीरते-फाड़ते
और वादों की धज्जियाँ उड़ाते हुए
आना
आना जैसे मंगल के बाद
चला आता है बुध
आना