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"नए शहर में बरगद / केदारनाथ सिंह" के अवतरणों में अंतर
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जैसे मुझे जानता हो बरसों से | जैसे मुझे जानता हो बरसों से | ||
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देखो, उस दढ़ियल बरगद को देखो | देखो, उस दढ़ियल बरगद को देखो | ||
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मुझे देखा | मुझे देखा | ||
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तो कैसे लपका चला आ रहा है | तो कैसे लपका चला आ रहा है | ||
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मेरी तरफ़ | मेरी तरफ़ | ||
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पर अफ़सोस | पर अफ़सोस | ||
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कि चाय के लिये | कि चाय के लिये | ||
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14:08, 25 सितम्बर 2009 के समय का अवतरण
जैसे मुझे जानता हो बरसों से
देखो, उस दढ़ियल बरगद को देखो
मुझे देखा
तो कैसे लपका चला आ रहा है
मेरी तरफ़
पर अफ़सोस
कि चाय के लिये
मैं उसे घर नहीं ले जा सकता