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'''एक शहर'''
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यह शहर डूबे तो अच्छा है
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इसके डूबने से नदिया धुल जाएगी
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प्रदूषण-मुक्त हो जायेगा जल
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बह जाएँगी टूटी फूटी सड़कें
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ढह जाएँगे कमज़ोर पुल
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बह जायेंगे सभी स्टेडियम
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बने हैं जो भ्रष्टाचार के ईडियम
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धुल जायेगा सबके मन का मैला
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हो जायेगा उजला नेताओं का थैला
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धुल जाएगी शहर की गन्दगी
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मुस्कराएगी फिर नई जिंदगी
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हो जाएँगी धराशायी पुरानी इमारतें
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हो जाएँगी नष्ट भ्रष्टाचार की जड़ें
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बह जायेंगे सैलाब में चोर लुटेरे
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एक हो जाएगी फिर सारी बस्ती
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यहाँ के झोंपड़े और अमीरों की हस्ती
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नहीं रहेगी जब किसी की हस्ती
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तब हर चीज़ मिलेगी सस्ती
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नए पुल व सड़कें बनेंगे
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सुन्दर हवादार घर बसेंगे
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हटेंगे सारे अवैध कब्ज़े
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सब सड़कें फिर चौड़ी होंगी
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नहीं लगेंगे जाम यहाँ वहाँ
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सब बसें सरपट दौडेंगी
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परन्तु सवाल तो वही है
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क्या बाढ़ आएगी
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और डूबेगा ये शहर
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यारब अब तुम्हीं पर छोड़ता हूँ
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तुम्हारी भेजी बाढ़ और आफत
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शहर तो भ्रष्ट खेलों में डूब ही रहा है
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शायद इस बारिश में डूबने से बच जाये !
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-अश्विनी कुमार रॉय
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01:19, 19 अक्टूबर 2010 के समय का अवतरण