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"पापा की तनख़्वाह में / रमेश तैलंग" के अवतरणों में अंतर

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सब्जी और आटा,
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अगले में घाटे
 
अगले में घाटे
 
पड़ेंगे जी भरने।
 
पड़ेंगे जी भरने।

09:27, 7 सितम्बर 2011 के समय का अवतरण

पापा की तनख़्वाह में
घर भर के सपने।

चिंटू का बस्ता,
मिंटी की गुड़िया,
अम्मा की साड़ी,
दादी की पुड़िया,
लाएँगे, लाएँगे
पापा जी अपने।

पिछला महीना तो
मुश्किल में काटा,
आधी कमाई में
सब्ज़ी और आटा,
अगले में घाटे
पड़ेंगे जी भरने।

पापा की तनख़्वाह में
घर भर के सपने।