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"फूलों का गजरा / रमेश तैलंग" के अवतरणों में अंतर
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बहना, तेरी चोटी में | बहना, तेरी चोटी में |
19:50, 7 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण
बहना, तेरी चोटी में
फूलों का गजरा ।
फूलों के गजरे ने
घर-भर महकाया,
बतलाना, बतलाना
कौन इसे लाया ?
साँसों में छोड़ गया
ख़ुशबू का लहरा ।
गजरे में फूल खिले
बेला-जुही के,
आँखों में तेरी हैं
आँसू खुशी के,
चेहरे पर बिखरा है
जादू सुनहरा ।
तुझ पर ही नज़रें हैं
छोटे-बड़ों की,
बात हुई बहना,
आज क्या अनोखी ?
क्या इसमें है कोई
राज बड़ा गहरा ?