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"अब खोजनी है आमरण / भारत भूषण" के अवतरणों में अंतर

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रतियोजना से गत प्रहार
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हैं व्यंग्य- रत सुधि में बिखर
 
हैं व्यंग्य- रत सुधि में बिखर
 
अस्पृश्य सा अंत:करण
 
अस्पृश्य सा अंत:करण
किसका वरण किसका वरण </poem>
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किसका वरण किसका वरण  
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13:59, 18 दिसम्बर 2011 के समय का अवतरण

अब खोजनी है आमरण
कोई शरण कोई शरण

गोधुली मंडित सूर्य हूँ
खंडित हुआ वैदूर्य हूँ
मेरा करेंगे अनुसरण
किसके चरण किसके चरण

अभिजात अक्षर- वंश में
निर्जन हुए उर- ध्वंस में
कितने सहेजूँ संस्मरण
कितना स्मरण कितना स्मरण

निर्वर्ण खंडहर पृष्ठ हैं
अंतरकथाएं नष्ट हैं
व्यक्तित्व का ये संस्करण
बस आवरण बस आवरण

रतियोजना से गत प्रहर
हैं व्यंग्य- रत सुधि में बिखर
अस्पृश्य सा अंत:करण
किसका वरण किसका वरण