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"चायवाली / अनिरुद्ध नीरव" के अवतरणों में अंतर

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एक प्याली
 
एक प्याली
 
बिना शक्कर चाय हूँ
 
बिना शक्कर चाय हूँ
    पहचानती है वह मुझे
+
      पहचानती है वह मुझे
  
 
पूछती फिर भी कि
 
पूछती फिर भी कि
 
मीठी चलेगी क्या ?
 
मीठी चलेगी क्या ?
 
जानती है कभी
 
जानती है कभी
    मीठी भी चलाता हूँ  
+
      मीठी भी चलाता हूँ  
  
 
उसे क्या मालूम
 
उसे क्या मालूम
 
शूगर कम हुआ तो
 
शूगर कम हुआ तो
 
मैं बहुत मज़बूरियों में
 
मैं बहुत मज़बूरियों में
    सिर हिलाता हूँ
+
      सिर हिलाता हूँ
 
दूध खालिस अधिक पत्ती
 
दूध खालिस अधिक पत्ती
 
अलग बरतन गैस भी तो
 
अलग बरतन गैस भी तो
    क्या न झंझट
+
      क्या न झंझट
    मानती है वह मुझे
+
      मानती है वह मुझे
  
 
चाय डिस्पोजल में देना
 
चाय डिस्पोजल में देना
 
जब कहा तो
 
जब कहा तो
 
व्यंग्य से बोली
 
व्यंग्य से बोली
    कि डिस्पोजल नहीं है  
+
      कि डिस्पोजल नहीं है  
    जानिए
+
      जानिए
  
 
सुबह झाड़ू मारने वाले
 
सुबह झाड़ू मारने वाले
 
भी तो हैं आदमी
 
भी तो हैं आदमी
 
इस ज़माने में
 
इस ज़माने में
    न इतना
+
      न इतना
    छुआछूत बखानिए
+
      छुआछूत बखानिए
  
 
कूट अदरक डाल पत्ती
 
कूट अदरक डाल पत्ती
 
खौलने तक रंग ला कर
 
खौलने तक रंग ला कर
    धार दे कर
+
      धार दे कर
    छानती है वह मुझे ।             
+
      छानती है वह मुझे ।             
 
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12:38, 21 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण

एक प्याली
बिना शक्कर चाय हूँ
       पहचानती है वह मुझे

पूछती फिर भी कि
मीठी चलेगी क्या ?
जानती है कभी
       मीठी भी चलाता हूँ

उसे क्या मालूम
शूगर कम हुआ तो
मैं बहुत मज़बूरियों में
       सिर हिलाता हूँ
दूध खालिस अधिक पत्ती
अलग बरतन गैस भी तो
       क्या न झंझट
       मानती है वह मुझे

चाय डिस्पोजल में देना
जब कहा तो
व्यंग्य से बोली
       कि डिस्पोजल नहीं है
       जानिए

सुबह झाड़ू मारने वाले
भी तो हैं आदमी
इस ज़माने में
       न इतना
       छुआछूत बखानिए

कूट अदरक डाल पत्ती
खौलने तक रंग ला कर
       धार दे कर
       छानती है वह मुझे ।