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"सारी रात / रमानाथ अवस्थी" के अवतरणों में अंतर

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(नया पृष्ठ: <poem>'''सारी रात''' धीरे - धीरे बात करो सारी रात प्यार से । भोर- होते चाँ…)
 
 
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<poem>'''सारी रात'''
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धीरे-धीरे बात करो सारी रात प्यार से ।
  
धीरे - धीरे बात करो सारी रात प्यार से ।
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भोर होते चाँद के ही साथ-साथ जाऊँगा
 
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भोर- होते चाँद के ही साथ-साथ जाउँगा
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हो सका तो शाम को सितारों के संग आऊँगा
 
हो सका तो शाम को सितारों के संग आऊँगा
धीरे - धीरे ताप हरो प्यार के अंगार से |
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धीरे-धीरे ताप हरो प्यार के अंगार से |
  
तन का सिंगार तो हजार बार होता है
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तन का सिंगार तो हज़ार बार होता है
कितु प्यार जीवन में एक बार होता है
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किंतु प्यार जीवन में एक बार होता है
धीरे धीरे बूँद चुनो जिन्दगी की धार से ।
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धीरे-धीरे बूँद चुनो ज़िन्दगी की धार से ।
  
 
कोई नहीं विश्व में जो प्यार बिना जी सके
 
कोई नहीं विश्व में जो प्यार बिना जी सके
 
और गीत गाने वाले अधरों को सी सके
 
और गीत गाने वाले अधरों को सी सके
धीरे धीरे मीत खींचो प्राण के सितार से ।
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धीरे-धीरे मीत खींचो प्राण के सितार से ।
  
देख देख हमें तुम्हें चाँद गला जा रहा
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देख-देख हमें तुम्हें चाँद गला जा रहा
 
क्योंकि प्यार से हमारा प्राण छला जा रहा
 
क्योंकि प्यार से हमारा प्राण छला जा रहा
धीरे धीरे प्राण ही निकाल लो दुलार से ।</poem>
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धीरे-धीरे प्राण ही निकाल लो दुलार से ।
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21:38, 21 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण

धीरे-धीरे बात करो सारी रात प्यार से ।

भोर होते चाँद के ही साथ-साथ जाऊँगा
हो सका तो शाम को सितारों के संग आऊँगा
धीरे-धीरे ताप हरो प्यार के अंगार से |

तन का सिंगार तो हज़ार बार होता है
किंतु प्यार जीवन में एक बार होता है
धीरे-धीरे बूँद चुनो ज़िन्दगी की धार से ।

कोई नहीं विश्व में जो प्यार बिना जी सके
और गीत गाने वाले अधरों को सी सके
धीरे-धीरे मीत खींचो प्राण के सितार से ।

देख-देख हमें तुम्हें चाँद गला जा रहा
क्योंकि प्यार से हमारा प्राण छला जा रहा
धीरे-धीरे प्राण ही निकाल लो दुलार से ।