भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"साक्षर बने राक्षस / बीरेन्द्र कुमार महतो" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बीरेन्द्र कुमार महतो }} {{KKCatKavita}} <poem> मोल-भाव में आज ह…)
 
 
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 11: पंक्ति 11:
 
जिधर देखिए उधर
 
जिधर देखिए उधर
 
मिलकर लूट रहे हैं,
 
मिलकर लूट रहे हैं,
माँ और बहनों की इज्जत,
+
माँ और बहनों की इज्ज़त,
  
 
थे कई सपने आँखो में
 
थे कई सपने आँखो में

03:12, 29 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण

मोल-भाव में आज
हो रही भारी तरक़्क़ी
राक्षस तो राक्षस
साक्षर भी हैं इसमें शामिल,
जिधर देखिए उधर
मिलकर लूट रहे हैं,
माँ और बहनों की इज्ज़त,

थे कई सपने आँखो में
संजोए वर्षों से,
टूट गए एक ही पल में
जब हुए मोल-भाव में
पवित्र अग्नि के फेरे,

दान और दहेज की ख़ातिर
कलियुगी राक्षसों द्वारा
बे-मौत मारी जा रहीं ये,
देख कर इनकी दशा
कराह उठता हृदय मेरा
पूछ बैठता अपने आप से
क्या यही है,
कलियुगी मर्दों की
मर्दांनगी...?

मूल नागपुरी से अनुवाद : स्वयं कवि द्वारा