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− | न दो अब एटम बम की धमकी | + | <poem> |
− | + | न दो अब एटम बम की धमकी चाचा, | |
− | और कोई हथियार निकालो, | + | और कोई हथियार निकालो, |
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कि इसकी धार है खुट्टल ट्रूमन चाचा, | कि इसकी धार है खुट्टल ट्रूमन चाचा, | ||
− | + | और कोई तलवार निकालो ! | |
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चीन में क्या, दुनिया में उगा है लाल सितारा, | चीन में क्या, दुनिया में उगा है लाल सितारा, | ||
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लिए डालर की गड्डी, च्याँग परलोक सिधारा, | लिए डालर की गड्डी, च्याँग परलोक सिधारा, | ||
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कि चिट्ठी लिखो, सोच कर लिख दो चाचा, | कि चिट्ठी लिखो, सोच कर लिख दो चाचा, | ||
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जंग की बात न छेड़ो, लोग बेहद बिगड़ेंगे, | जंग की बात न छेड़ो, लोग बेहद बिगड़ेंगे, | ||
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समय के सौ-सौ तूफ़ाँ, न जाने क्या कर देंगे ! | समय के सौ-सौ तूफ़ाँ, न जाने क्या कर देंगे ! | ||
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सोवियत मज़दूरों का, लोग उनसे न लड़ेंगे, | सोवियत मज़दूरों का, लोग उनसे न लड़ेंगे, | ||
+ | ये बिजनेस खोटा, इसमें टोटा लाला, | ||
+ | और कोई व्यापार निकालो, | ||
+ | दूजा कारोबार निकालो ! | ||
− | + | '''1949 में रचित | |
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− | 1949 में रचित | + |
14:23, 23 अक्टूबर 2020 के समय का अवतरण
न दो अब एटम बम की धमकी चाचा,
और कोई हथियार निकालो,
कि इसकी धार है खुट्टल ट्रूमन चाचा,
और कोई तलवार निकालो !
चीन में क्या, दुनिया में उगा है लाल सितारा,
लिए डालर की गड्डी, च्याँग परलोक सिधारा,
कि चिट्ठी लिखो, सोच कर लिख दो चाचा,
ढूँढ़ के बर्ख़ुरदार निकालो,
एक नया गद्दार निकालो !
जंग की बात न छेड़ो, लोग बेहद बिगड़ेंगे,
समय के सौ-सौ तूफ़ाँ, न जाने क्या कर देंगे !
सोवियत मज़दूरों का, लोग उनसे न लड़ेंगे,
ये बिजनेस खोटा, इसमें टोटा लाला,
और कोई व्यापार निकालो,
दूजा कारोबार निकालो !
1949 में रचित