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[[Category:ग़ज़ल]]
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अब के तज्दीद-ए-वफ़ा का नहीं इम्काँ जानाँ
याद क्या तुझ को दिलायें तेरा पैमाँ जानाँ
अब यूँ ही मौसम की अदा देख के तज्दीद-ए-वफ़ा का नहीं इम्काँ जानाँ <br>याद आया है याद क्या तुझ को दिलायें तेरा पैमाँ किस क़दर जल्द बदल जाते हैं इन्साँ जानाँ <br><br>
यूँ ही मौसम ज़िन्दगी तेरी अता थी सो तेरे नाम की अदा देख के याद आया है <br>किस क़दर जल्द बदल जाते हैं इन्साँ हम ने जैसे भी बसर की तेरा एहसाँ जानाँ <br><br>
ज़िन्दगी तेरी अता थी सो तेरे नाम की दिल ये कहता है <br>हम ने जैसे कि शायद हो फ़सुर्दा तू भी बसर दिल की तेरा एहसाँ क्या बात करें दिल तो है नादाँ जानाँ <br><br>
दिल ये कहता है कि शायद हो फ़सुर्दा तू भी <br>दिल अव्वल-अव्वल की क्या बात करें दिल मुहब्बत के नशे याद तो है नादाँ करबे-पिये भी तेरा चेहरा था गुलिस्ताँ जानाँ <br><br>
अव्वल-अव्वल की मुहब्बत के नशे याद आख़िर आख़िर तो कर <br>ये आलम है कि अब होश नहीं बेरग-ए-मीना सुलग उठी कि रग-ए-पिये भी तेरा चेहरा था गुलिस्ताँ जाँ जानाँ <br><br>
आख़िर आख़िर तो मुद्दतों से ये आलम है कि अब होश नहीं <br>न तवक़्क़ो न उम्मीद रग-ए-मीना सुलग उठी कि रग-ए-जाँ दिल पुकारे ही चला जाता है जानाँ जानाँ <br><br>
मुद्दतों से ये आलम न तवक़्क़ो न उम्मीद <br>हम भी क्या सादा थे हम ने भी समझ रखा था दिल पुकारे ही चला जाता ग़म-ए-दौराँ से जुदा है ग़म-ए-जानाँ जानाँ <br><br>
हम भी क्या सादा थे हम ने भी समझ रखा था <br>ग़मअब की कुछ ऐसी सजी महफ़िल-ए-दौराँ से जुदा याराँ जानाँ सर-ब-ज़ानू है ग़मकोई सर--गिरेबाँ जानाँ जानाँ <br><br>
अब की कुछ ऐसी सजी महफ़िल-ए-याराँ जानाँ <br>सर-ब-ज़ानू हर कोई अपनी ही आवाज़ से काँप उठता है हर कोई सर-ब-गिरेबाँ अपने ही साये से हिरासाँ जानाँ <br><br>
हर कोई अपनी ही आवाज़ से काँप उठता जिस को देखो वही ज़न्जीर-ब-पा लगता है <br>हर कोई अपने ही साये से हिरासाँ शहर का शहर हुआ दाख़िल-ए-ज़िन्दाँ जानाँ <br><br>
जिस को देखो वही ज़न्जीर-ब-पा लगता है <br>अब तेरा ज़िक्र भी शायद ही ग़ज़ल में आये शहर का शहर और से और हुआ दाख़िल-ए-ज़िन्दाँ दर्द का उन्वाँ जानाँ <br><br>
अब तेरा ज़िक्र हम कि रूठी हुई रुत को भी शायद ही ग़ज़ल में आये <br>मना लेते थे और से और हुआ दर्द का उन्वाँ हम ने देखा ही न था मौसम-ए-हिज्राँ जानाँ <br><br>
हम कि रूठी हुई रुत को भी मना लेते होश आया तो सभी ख़्वाब थे <br>रेज़ा-रेज़ा हम ने देखा ही न था मौसमजैसे उड़ते हुये औराक़-ए-हिज्राँ परेशाँ जानाँ <br><br>
होश आया तो सभी ख़्वाब थे रेज़ा-रेज़ा <br>जैसे उड़ते हुये औराक़-ए-परेशाँ जानाँ <br><br/poem>
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