भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बात सालों की है / मनविंदर भिम्बर

No change in size, 23:37, 28 दिसम्बर 2010
मंत्रों के नूर से उजली हुई
वो माला मेरे सामने थी
मैं अडोल -सी खड़ी रह गई
और सोचने लगी
कैसे लूँ माला को
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,331
edits