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Kavita Kosh से
या रब मुझको ऐसा जीने का हुनर दे
नफरत बसी हुई है जिन लोगों के दिल में
हर हाल में करते हैं जो शुक्र अदा तेरा
‘इरशाद’ को भी मौला उनमें शुमार तू बस ऐसा ही कर दे
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