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उन्हींकी राह में मरना कहीं होता तो क्या होता!
जहां पर जिन्दगी ज़िन्दगी है, मै वहीं होता तो क्या होता!
बहुत से वक्त ऐसे भी कटे हैं जब कि घबराकर
ये सोचा मैंने मन में, मैं नहीँ होता तो क्या होता!
हुआ है दिल तो घायल बेरुखी बेरुख़ी से ही उन आँखों की
जो थोड़ा प्यार भी उनमें कहीं होता तो क्या होता!
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