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Kavita Kosh से
कभी तो उनको लुभा लेंगी तड़पनें इसकी
ये दिल का साज साज़ जहाँ तक बजे बजाते चलो
कटेगा इससे भी कुछ तो हवा का सन्नाटा
गुलाब! बाग़ में तुमसे ही है बहार आई
सुगंध प्यार की निकालो निकलो जिधर, लुटाते चलो
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