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हवा में घुँघरू से बज उठे थे, दिशाएँ करवट बदल रही थीं
किरण किरन के घूँघट में मुँह छिपाकर तुम आ रहे थे, पता नहीं था
दिया हर उम्मीद का बुझाकर, सुला लिया अपना दिल तो हमने
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