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/* इस विधा का काब्य अनुशासन */
==इस विधा का काब्य अनुशासन==
इस जापानी विधा को हिन्दी काब्य जगत के अनुशासन से परिचित कराते हुये डॉ0 [[जगदीश व्योम]] ने बताया है:-
* हाइकु सत्रह (17) अक्षर वर्णों में लिखी जाने वाली सबसे छोटी कविता है। इसमें तीन पंक्तियाँ रहती हैं। प्रथम पंक्ति में 5 अक्षर वर्ण दूसरी में 7 अक्षर और तीसरी में 5 अक्षर वर्ण रहते हैं। * संयुक्त अक्षर को वर्ण भी एक अक्षर ही वर्ण गिना जाता है, जैसे (सुगन्ध) शब्द में तीन अक्षर वर्ण हैं-(सु-1, ग-1, न्ध्-1)। तीनों वाक्य अलग-अलग होने चाहिए। अर्थात् एक ही वाक्य को 5,7,5 के क्रम में तोड़कर नहीं लिखना है। बल्कि तीन पूर्ण पंक्तियाँ हों।
* अनेक हाइकुकार एक ही वाक्य को 5-7-5 वर्ण क्रम में तोड़कर कुछ भी लिख देते हैं और उसे हाइकु कहने लगते हैं। यह सरासर गलत है, और हाइकु के नाम पर स्वयं को छलावे में रखना मात्र है।
* हाइकु कविता में 5-7-5 का अनुशासन तो रखना ही है, क्योंकि यह नियम शिथिल कर देने से छन्द की दृष्टि से अराजकता की स्थिति आ जाएगी।
* इस संबंध में श्रीयुत ब्योम जी का मानना है कि हिन्दी अपनी बात कहने के लिये अनेक प्रकार के छंदों का प्रचलन है अतः उर्पयुक्त उपर्युक्त अनुशासन से भिन्न प्रकार से लिखी गयी पंक्तियों को हाइकू हाइकु न कहकर मुक्त छंद अथवा [[क्षणिका]] ही कहना चाहिये।* वास्तव में हाइकू हाइकु का मूल स्वरूप कम शब्दों में ‘घाव करें गंभीर ’ की कहावत को चरितार्थ करना ही है। अतः शब्दों के अनुशासन से इतर लिखी गयी रचना को हाइकू हाइकु कहकर संबोधित करना उसके मूल स्वरूप के साथ छेड़छाड ही कही जायेगी।कहा जायेगा।प्रकृति के भावप्रणय भावप्रवण चित्रण हेतु हाइकू हाइकु एक सशक्त विधा है 
==ताँका==
ताँका जापानी काव्य की कई सौ साल पुरानी काव्य शैली है । इस जापानी विधा को हिन्दी काब्य जगत के अनुशासन से परिचित कराते हुये [[रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु']] ने बताया है:-