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* सुधा जी जब लिखती हैं तो मानो भावों का दरिया बहने लगता है और पढ़ने वाला बहता चला जाता है ...
* सभी हाइकु एक से बढ़कर एक हैं ....
* पाठक की तो पढ़ते समय आँखे आँखें खुली की खुली और होंठ सिल जाते हैं जब आपको पढ़ते हैं !
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