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'''बेटी की किलकारी'''
 
कन्या भ्रूण अगर मारोगे
मां दुरगा माँ दुर्गा का शाप लगेगा।लगेगा,
बेटी की किलकारी के बिन
आंगन-आंगन नहीं रहेगा।रहेगा । 
जिस घर बेटी जन्म न लेती
वह घर सभ्य नहीं होता है।है ।
बेटी के आरतिए के बिन
पावन यज्ञ नहीं होता है।है ।
यज्ञ बिना बादल रूठेंगे
सूखेगी वरषा वर्षा की रिमझिम।रिमझिम । 
बेटी की पायल के स्वर बिन
सावन-सावन नहीं रहेगा।रहेगा ।आंगनआँगन -आंगन आँगन नहीं रहेगा।रहेगा ।
जिस घर बेटी जन्म न लेती
उस घर कलियां कलियाँ झर जाती है।हैं ।खुशबू निरवासित ख़ुशबू निर्वासित हो जातीगोपी गीत नहीं गाती है।है ।गीत बिना बंशी वंशी चुप होगीकान्हा नाच नहीं पाएगा।पाएगा । 
बिन राधा के रास न होगा
मधुबन-मधुबन नहीं रहेगा।रहेगा ।आंगनआँगन -आंगन आँगन नहीं रहेगा।रहेगा ।
जिस घर बेटी जन्म न लेती,उस घर घड़े रीत जाते हैं।हैं,
अन्नपूरणा अन्न न देती
दुरभिक्षों दुर्भिक्षों के दिन आते हैं।हैं ।
बिन बेटी के भोर अलूणी
थका-थका दिन सांझ बिहूणी।साँझ बिहूणी । 
बेटी बिना न रोटी होगी
प्राशन-प्राशन नहीं रहेगाआंगनआँगन-आंगन आँगन नहीं रहेगा
जिस घर बेटी जन्म न लेती
उसको लक्षमी लक्ष्मी कभी न वरती।वरती ।भव सागर के भंवर भँवर - जाल मेंउसकी नौका कभी न तरती।तरती ।
बेटी की आशीषों में ही
बैकुंठों बैकुण्ठों का वासा होता।होता । 
बेटी के बिन किसी भाल का
चंदनचन्दन -चंदन चन्दन नहीं रहेगा।रहेगा ।आंगनआँगन -आंगन आँगन नहीं रहेगा।
जिस घर बेटी जन्म न लेती
वहां वहाँ शारदा कभी न आती।आती,
बेटी की तुतली बोली बिन
सारी कला विकल हो जाती।जाती,
बेटी ही सुलझा सकती है,
माता की उलझी पहेलियां।पहेलियाँ । बेटी के बिन मां माँ की आंखोंआँखोंअंजनअँजन -अंजन अँजन नहीं रहेगा।रहेगा ।आंगनआँगन -आंगन आँगन नहीं रहेगा।रहेगा ।
जिस घर बेटी जन्म न लेगी
राखी का त्यौहार न होगा।होगा, बिना रक्षाबंधन रक्षाबन्धन भैया काममतामय संसार न होगा।होगा,
भाषा का पहला स्वर बेटी
शब्द-शब्द में आखर बेटी।बेटी । 
बिन बेटी के जगत न होगा,
सजॅन, सजॅन सजन - सजन नहीं रहेगा।रहेगा ।आंगनआँगन -आंगन आँगन नहीं रहेगा।रहेगा ।
जिस घर बेटी जन्म न लेती
उसका निष्फल हर आयोजन।आयोजन,
सब रिश्ते नीरस हो जाते
अथॅहीन अर्थहीन सारे संबोधन।सम्बोधन,मिलना-जुलना , आना-जानायह समाज का ताना-बाना।बाना । बिन बेटी रुखे रूखे अभिवादनवंदनवन्दन -वंदन वन्दन नहीं रहेगा।रहेगा ।आंगनआँगन -आंगन आँगन नहीं रहेगा।रहेगा ।</poem>
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