भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पद्माकर / परिचय

No change in size, 04:09, 6 अक्टूबर 2012
पदमाकर पन्ना के महाराज हिंदूपति के गुरु थे. कई राज-दरबारों में इनका बड़ा मान था. यद्द्यपी इनको मिश्र-बन्धुओं के नवरत्नों में स्थान नहीं मिला है, तथापि लक्षणों की सरलता और स्पष्टता तथा उदाहरणों की उपयुक्तता और विशाल काव्यत्व के कारण इनका स्थान रीतिकालीन कवियों में बड़े महत्व का है. पद्माकर के सम्बन्ध में शुक्लजी का मत है :-- “लाक्षणिक शब्दों के प्रयोग द्वारा कहीं कहीं ये मन की अव्यक्त भावना को ऐसा मूर्ति मान कर देते हैं कि सुनने वालों का हृदय आप ही आप हामी भरता है . यह लाक्षणिकता भी इनकी बड़ी विशेषता है.”
पद्माकर ने वीर –रस कि की भी कविता की है , किन्तु उसमें उतने सफल नहीं हुए जितने श्रृंगार रस में.
==पुरस्कार==
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader, प्रबंधक
35,103
edits