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तूं कद आसी / गोरधनसिंह शेखावत

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लाग्योडो मूंधो गोटो
झूठो पड़बा लाग्यो
तूं कद आसी
 
आज कोठै पर
मोर अर मोरनी
छतरी ताण्यां खड्या है
म्है थारै सपनां रै
पड़वै में ऊभी-ऊभी
कलपनां रा केस
सुळ्झा री हूं
तूं कद आसी
 
<poem>
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