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Kavita Kosh से
जाने क्या, ना जाने क्या था जो कहना था
आज मिल के तुझे जाने क्या...
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'''[[खै के थियो, भन्नुपर्ने / गुलजार / सुमन पोखरेल|यहाँ क्लिक गरेर यस कविताको नेपाली अनुवाद पढ्न सकिन्छ ।]]'''
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