भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
जाने क्या, ना जाने क्या था जो कहना था
आज मिल के तुझे जाने क्या...
 
......................................................................
'''[[खै के थियो, भन्नुपर्ने / गुलजार / सुमन पोखरेल|यहाँ क्लिक गरेर यस कविताको नेपाली अनुवाद पढ्न सकिन्छ ।]]'''
 
</poem>
Mover, Reupload, Uploader
9,783
edits