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फुटकर शेर / कांतिमोहन 'सोज़'

5 bytes added, 08:23, 29 दिसम्बर 2014
<poem>
1.
एक अजब ख्वाब ख़्वाब में एक उम्र गुज़ारी हमने
सर पे हर शख्स के पापोश थे दस्तार न थे ।
ईंट गारे में मुझे सारी उमर क़ैद रखा
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