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पुस्तक के फ्लैप पर उद्धृत कविता से ही इसका परिचय मिल जाता है।
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सौंदर्य चाहे प्रकृति का हो, या व्यक्ति के गुणों का, या नारी का, इस कवि ने जीवन के सौंदर्य का अनुभव किया है, उसे सराहा है - धन्य, मन्त्र, विषम सौंदर्य आदि कविताएँ इस श्रेणी में रखी जा सकती हैं। अधिकांश कविताओं में स्पष्टवादी कवि की स्पष्ट भाषा के दर्शन होते हैं किन्तु तब भी कई बिम्ब सराहनीय हैं।
भारत की जनता भी क्या सूरज मुखी की तरह रात के गुजरने और सूरज के फूल बन कर उगने के लिए प्रतीक्षारत नहीं?
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